Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6612 | Date: 08-Feb-1997
निगाह-निगाह, फिर रही है, जगह, जगह
Nigāha-nigāha, phira rahī hai, jagaha, jagaha

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

Hymn No. 6612 | Date: 08-Feb-1997

निगाह-निगाह, फिर रही है, जगह, जगह

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nigāha-nigāha, phira rahī hai, jagaha, jagaha

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

1997-02-08 1997-02-08 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16599 निगाह-निगाह, फिर रही है, जगह, जगह निगाह-निगाह, फिर रही है, जगह, जगह

फिर भी नज़रमें क्यों तू नही आये, क्यों नज़र में नहीं आया?

राह देख रहे हैं हम, कदम कदम पर, राह तो तेरी,

उस राह को बना के तू तेरी, उस राह सें तू क्यों चला नही आया?

हर राह तो आसान तेरे लिये, क्या हो गई कोई मुसीबत खड़ी?

रुक गये पैर तेरे, उस राह से चल के, तू क्यों चला नहीं आता?

क्या राह मेरी, राह नहीं थी वह तेरी, इसलिये तू नहीं आया?

क्या राह अलग थी मेरी, रुक गये पैर तेरे, इसलिये तू नहीं चला आया?

चल के अब उस राह पर से तू, बना दे आसान उस राह को तू

कर रहा हूँ मैं इंत़जार तेरा, बना के राह तेरी, अब वह राह से चला आ।
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निगाह-निगाह, फिर रही है, जगह, जगह

फिर भी नज़रमें क्यों तू नही आये, क्यों नज़र में नहीं आया?

राह देख रहे हैं हम, कदम कदम पर, राह तो तेरी,

उस राह को बना के तू तेरी, उस राह सें तू क्यों चला नही आया?

हर राह तो आसान तेरे लिये, क्या हो गई कोई मुसीबत खड़ी?

रुक गये पैर तेरे, उस राह से चल के, तू क्यों चला नहीं आता?

क्या राह मेरी, राह नहीं थी वह तेरी, इसलिये तू नहीं आया?

क्या राह अलग थी मेरी, रुक गये पैर तेरे, इसलिये तू नहीं चला आया?

चल के अब उस राह पर से तू, बना दे आसान उस राह को तू

कर रहा हूँ मैं इंत़जार तेरा, बना के राह तेरी, अब वह राह से चला आ।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

nigāha-nigāha, phira rahī hai, jagaha, jagaha

phira bhī naja़ramēṁ kyōṁ tū nahī āyē, kyōṁ naja़ra mēṁ nahīṁ āyā?

rāha dēkha rahē haiṁ hama, kadama kadama para, rāha tō tērī,

usa rāha kō banā kē tū tērī, usa rāha sēṁ tū kyōṁ calā nahī āyā?

hara rāha tō āsāna tērē liyē, kyā hō gaī kōī musībata khaḍa़ī?

ruka gayē paira tērē, usa rāha sē cala kē, tū kyōṁ calā nahīṁ ātā?

kyā rāha mērī, rāha nahīṁ thī vaha tērī, isaliyē tū nahīṁ āyā?

kyā rāha alaga thī mērī, ruka gayē paira tērē, isaliyē tū nahīṁ calā āyā?

cala kē aba usa rāha para sē tū, banā dē āsāna usa rāha kō tū

kara rahā hūm̐ maiṁ iṁta़jāra tērā, banā kē rāha tērī, aba vaha rāha sē calā ā।
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Hindi Bhajan no. 6612 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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