Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 7281 | Date: 10-Mar-1998
जा के पूछा मैं ने प्रभु को, आप क्यों खोये खोये से हो?
Jā kē pūchā maiṁ nē prabhu kō, āpa kyōṁ khōyē khōyē sē hō?

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 7281 | Date: 10-Mar-1998

जा के पूछा मैं ने प्रभु को, आप क्यों खोये खोये से हो?

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jā kē pūchā maiṁ nē prabhu kō, āpa kyōṁ khōyē khōyē sē hō?

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1998-03-10 1998-03-10 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=15270 जा के पूछा मैं ने प्रभु को, आप क्यों खोये खोये से हो? जा के पूछा मैं ने प्रभु को, आप क्यों खोये खोये से हो?

प्रभु ने यह बतलाया, सब अपनी अपनी यादो में खोये हैं,

मैं तो इस जहाँ में तो सब की याद में तो खोया हुआ हूँ

सब अपनी अपनी यादों में खोकर, मुझे तो भूल जाते हैं।

मैं तो सबकी यादों में खो जाकर, सब को याद रखता हूँ

सबके दिल में रहकर, जग में ना अकेलापन महसूस करता हूँ।

ना मैं किसी से अलग हूँ, ना किसी को अलग रखता हूँ

ना कम कभी मैं होता हूँ, ना कम किसी को रखता हूँ।

जहाँ-जहाँ में जाऊँ, सब साथ में तो मेरे मैं तो रखता हूँ

खो जाना चाहूँ मैं जग में, तब भी ना मैं खो सकता हूँ।
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जा के पूछा मैं ने प्रभु को, आप क्यों खोये खोये से हो?

प्रभु ने यह बतलाया, सब अपनी अपनी यादो में खोये हैं,

मैं तो इस जहाँ में तो सब की याद में तो खोया हुआ हूँ

सब अपनी अपनी यादों में खोकर, मुझे तो भूल जाते हैं।

मैं तो सबकी यादों में खो जाकर, सब को याद रखता हूँ

सबके दिल में रहकर, जग में ना अकेलापन महसूस करता हूँ।

ना मैं किसी से अलग हूँ, ना किसी को अलग रखता हूँ

ना कम कभी मैं होता हूँ, ना कम किसी को रखता हूँ।

जहाँ-जहाँ में जाऊँ, सब साथ में तो मेरे मैं तो रखता हूँ

खो जाना चाहूँ मैं जग में, तब भी ना मैं खो सकता हूँ।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

jā kē pūchā maiṁ nē prabhu kō, āpa kyōṁ khōyē khōyē sē hō?

prabhu nē yaha batalāyā, saba apanī apanī yādō mēṁ khōyē haiṁ,

maiṁ tō isa jahām̐ mēṁ tō saba kī yāda mēṁ tō khōyā huā hūm̐

saba apanī apanī yādōṁ mēṁ khōkara, mujhē tō bhūla jātē haiṁ।

maiṁ tō sabakī yādōṁ mēṁ khō jākara, saba kō yāda rakhatā hūm̐

sabakē dila mēṁ rahakara, jaga mēṁ nā akēlāpana mahasūsa karatā hūm̐।

nā maiṁ kisī sē alaga hūm̐, nā kisī kō alaga rakhatā hūm̐

nā kama kabhī maiṁ hōtā hūm̐, nā kama kisī kō rakhatā hūm̐।

jahām̐-jahām̐ mēṁ jāūm̐, saba sātha mēṁ tō mērē maiṁ tō rakhatā hūm̐

khō jānā cāhūm̐ maiṁ jaga mēṁ, taba bhī nā maiṁ khō sakatā hūm̐।
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Hindi Bhajan no. 7281 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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