1997-07-14
1997-07-14
1997-07-14
https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=16864
बनते-बनते तो बन जायेगी, अपनी बात, अपनी कहानी
बनते-बनते तो बन जायेगी, अपनी बात, अपनी कहानी
कहाँ से शुरू हुयी, कहाँ खत्म होगी, समझ में ना आयेगी।
कहां-कहां पर रुकेगी, कहाँ पहुँचायेगी समझ में न आयेगी
जब से जीवन में हो गई शुरू, जीवन में ताजगी आ गयी।
ना वह तो रूकी, रही है अब तक तो चलती चलती
रसों का विविध भंडार, वह जीवन में तो लेकर आई।
बात तो बनती जायेगी, कहानी तो आगे बढ़ती जायेगी
नज़र में बात जब नही आयेगी, कहानी वहाँ रूक जायेगी।
बातों में जब तक मस्ती रहेगी, कहानी में मस्ती आयेगी
कहानी बढ़ते बढ़ती जायेगी, कहाँ रुकेगी समझ में न आयेगी।
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
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बनते-बनते तो बन जायेगी, अपनी बात, अपनी कहानी
कहाँ से शुरू हुयी, कहाँ खत्म होगी, समझ में ना आयेगी।
कहां-कहां पर रुकेगी, कहाँ पहुँचायेगी समझ में न आयेगी
जब से जीवन में हो गई शुरू, जीवन में ताजगी आ गयी।
ना वह तो रूकी, रही है अब तक तो चलती चलती
रसों का विविध भंडार, वह जीवन में तो लेकर आई।
बात तो बनती जायेगी, कहानी तो आगे बढ़ती जायेगी
नज़र में बात जब नही आयेगी, कहानी वहाँ रूक जायेगी।
बातों में जब तक मस्ती रहेगी, कहानी में मस्ती आयेगी
कहानी बढ़ते बढ़ती जायेगी, कहाँ रुकेगी समझ में न आयेगी।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
banatē-banatē tō bana jāyēgī, apanī bāta, apanī kahānī
kahām̐ sē śurū huyī, kahām̐ khatma hōgī, samajha mēṁ nā āyēgī।
kahāṁ-kahāṁ para rukēgī, kahām̐ pahum̐cāyēgī samajha mēṁ na āyēgī
jaba sē jīvana mēṁ hō gaī śurū, jīvana mēṁ tājagī ā gayī।
nā vaha tō rūkī, rahī hai aba taka tō calatī calatī
rasōṁ kā vividha bhaṁḍāra, vaha jīvana mēṁ tō lēkara āī।
bāta tō banatī jāyēgī, kahānī tō āgē baḍha़tī jāyēgī
naja़ra mēṁ bāta jaba nahī āyēgī, kahānī vahām̐ rūka jāyēgī।
bātōṁ mēṁ jaba taka mastī rahēgī, kahānī mēṁ mastī āyēgī
kahānī baḍha़tē baḍha़tī jāyēgī, kahām̐ rukēgī samajha mēṁ na āyēgī।
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