Share “ दर्द को जुबान ना दी, दर्द ने किया दिल में बसेरा। दिल से आवाज उठी, दर्द को जुबान मिल गई।Pain was not given a voice, The pain settled in the heart. A voice arose from the heart, The pain got the speech. - सतगुरु श्री देवेन्द्र घीया( काका) Previous बहुत आसान होता है किसी का घर जला देना, Next जिंदगी में दुःख, बिना बुलाये नहीं आता।