Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 7140 | Date: 01-Dec-1997
दिल चुरा के दिल दिया, अहसान तो क्या किया
Dila curā kē dila diyā, ahasāna tō kyā kiyā

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)



Hymn No. 7140 | Date: 01-Dec-1997

दिल चुरा के दिल दिया, अहसान तो क्या किया

  No Audio

dila curā kē dila diyā, ahasāna tō kyā kiyā

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

1997-12-01 1997-12-01 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=15129 दिल चुरा के दिल दिया, अहसान तो क्या किया दिल चुरा के दिल दिया, अहसान तो क्या किया,

यूँ ही दिल देते, तो समझते, कोई कद्रदान मिला।

उम्मीदों के सहारे जी रहे थे, ना उम्मीद क्यों बना दिया,

उम्मीदें कर देते यदि पूरी, समझते कोई कद्रदान मिला।

नज़र छिपा के क्यों ब़ैठे हो, नज़र के सामने रहते भी, नज़र से बाहर रखते हो,

यदि नज़र मिला के कुछ बातें करते, तो समझते कोई कद्रदान मिला।

आगे चलते-चलते, बार-बार नज़र पीछे क्यों फिराते हो?

यदि दूर से भी सलाम करते, समझते कोई कद्रदान मिला।

महलों में सुख में रहते हुए भी, बंदीवान बन के तो ब़ै"s हो

यदि मौज से अकेले भी चलते, समझते स्वतंत्रता का कोई कद्रदान मिला।
View Original Increase Font Decrease Font


दिल चुरा के दिल दिया, अहसान तो क्या किया,

यूँ ही दिल देते, तो समझते, कोई कद्रदान मिला।

उम्मीदों के सहारे जी रहे थे, ना उम्मीद क्यों बना दिया,

उम्मीदें कर देते यदि पूरी, समझते कोई कद्रदान मिला।

नज़र छिपा के क्यों ब़ैठे हो, नज़र के सामने रहते भी, नज़र से बाहर रखते हो,

यदि नज़र मिला के कुछ बातें करते, तो समझते कोई कद्रदान मिला।

आगे चलते-चलते, बार-बार नज़र पीछे क्यों फिराते हो?

यदि दूर से भी सलाम करते, समझते कोई कद्रदान मिला।

महलों में सुख में रहते हुए भी, बंदीवान बन के तो ब़ै"s हो

यदि मौज से अकेले भी चलते, समझते स्वतंत्रता का कोई कद्रदान मिला।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

dila curā kē dila diyā, ahasāna tō kyā kiyā,

yūm̐ hī dila dētē, tō samajhatē, kōī kadradāna milā।

ummīdōṁ kē sahārē jī rahē thē, nā ummīda kyōṁ banā diyā,

ummīdēṁ kara dētē yadi pūrī, samajhatē kōī kadradāna milā।

naja़ra chipā kē kyōṁ ba़aiṭhē hō, naja़ra kē sāmanē rahatē bhī, naja़ra sē bāhara rakhatē hō,

yadi naja़ra milā kē kucha bātēṁ karatē, tō samajhatē kōī kadradāna milā।

āgē calatē-calatē, bāra-bāra naja़ra pīchē kyōṁ phirātē hō?

yadi dūra sē bhī salāma karatē, samajhatē kōī kadradāna milā।

mahalōṁ mēṁ sukha mēṁ rahatē huē bhī, baṁdīvāna bana kē tō ba़ai"s hō

yadi mauja sē akēlē bhī calatē, samajhatē svataṁtratā kā kōī kadradāna milā।
Scan Image

Hindi Bhajan no. 7140 by Satguru Devendra Ghia - Kaka

First...713571367137...Last