Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6636 | Date: 19-Feb-1997
ढूँढ़त फिरत बाहर तो क्यों तेरे नैना?
Ḍhūm̐ḍha़ta phirata bāhara tō kyōṁ tērē nainā?

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)



Hymn No. 6636 | Date: 19-Feb-1997

ढूँढ़त फिरत बाहर तो क्यों तेरे नैना?

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ḍhūm̐ḍha़ta phirata bāhara tō kyōṁ tērē nainā?

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1997-02-19 1997-02-19 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16623 ढूँढ़त फिरत बाहर तो क्यों तेरे नैना? ढूँढ़त फिरत बाहर तो क्यों तेरे नैना?

दिल जो सुख चाहत है, बाहर वह नही मिलत है।

दिल जो चाहत है, वह जब पावत है, तब सुख आवत है।

जब वह नही मिलत है, हो के निराश वह दुःख में डूबत है।

मन तो बाहर फिरत है, वह आस तो दिल में बढ़ावत है।

आस बढ़त जावत है, वह दुःख को दावत देवत है।

मन नचावत रहत है, काबू में वह जल्दी नही आवत है।

जीवन में आस जब कम रहत है, सुख के नजदीक वह पहुँचत है।
https://www.youtube.com/watch?v=cClcJSyNY9c
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ढूँढ़त फिरत बाहर तो क्यों तेरे नैना?

दिल जो सुख चाहत है, बाहर वह नही मिलत है।

दिल जो चाहत है, वह जब पावत है, तब सुख आवत है।

जब वह नही मिलत है, हो के निराश वह दुःख में डूबत है।

मन तो बाहर फिरत है, वह आस तो दिल में बढ़ावत है।

आस बढ़त जावत है, वह दुःख को दावत देवत है।

मन नचावत रहत है, काबू में वह जल्दी नही आवत है।

जीवन में आस जब कम रहत है, सुख के नजदीक वह पहुँचत है।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

ḍhūm̐ḍha़ta phirata bāhara tō kyōṁ tērē nainā?

dila jō sukha cāhata hai, bāhara vaha nahī milata hai।

dila jō cāhata hai, vaha jaba pāvata hai, taba sukha āvata hai।

jaba vaha nahī milata hai, hō kē nirāśa vaha duḥkha mēṁ ḍūbata hai।

mana tō bāhara phirata hai, vaha āsa tō dila mēṁ baḍha़āvata hai।

āsa baḍha़ta jāvata hai, vaha duḥkha kō dāvata dēvata hai।

mana nacāvata rahata hai, kābū mēṁ vaha jaldī nahī āvata hai।

jīvana mēṁ āsa jaba kama rahata hai, sukha kē najadīka vaha pahum̐cata hai।
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Hindi Bhajan no. 6636 by Satguru Devendra Ghia - Kaka

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