Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6352 | Date: 19-Aug-1996
राधा बन गई आज बावरी, राधा बन गई आज बावरी।
Rādhā bana gaī āja bāvarī, rādhā bana gaī āja bāvarī।

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)



Hymn No. 6352 | Date: 19-Aug-1996

राधा बन गई आज बावरी, राधा बन गई आज बावरी।

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rādhā bana gaī āja bāvarī, rādhā bana gaī āja bāvarī।

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

1996-08-19 1996-08-19 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=12341 राधा बन गई आज बावरी, राधा बन गई आज बावरी। राधा बन गई आज बावरी, राधा बन गई आज बावरी।

टुकुर-टुकुर नयन, देखत राह, ढूँढ़त है वह आज वनमाली

हृदयन की कुंज कुंज, गलियन में, छिप गये आज कहाँ वनमाली।

मनहर वह मुरलीधारी, क्यों रास खेलन नहीं आये वह गोवर्धनधारी

लगत नही चित्त काम में आज, चुरा गये चित्त वह मुरलीधारी।

धड़कन धडकन में उठत वह मुरली नाद, क्यों आज नही दे रहा सुनाई

क्यों आज नही दिखाई दे रहे, मंद मंद मुस्कुराते मोहन मुरलीधारी।

उलझन में पड़ गई राधा, क्यों आज नही आये मेरे प्यारे वनमाली

मनोमंथन हृदयमंथन हो गया शुरू राधा हो गई उसमें बावरी

खुल गये वहाँ तो नयन, दिखाई दिये मुस्कुराते हुए मुरलीधारी।
https://www.youtube.com/watch?v=LyXoiOoSwyI
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राधा बन गई आज बावरी, राधा बन गई आज बावरी।

टुकुर-टुकुर नयन, देखत राह, ढूँढ़त है वह आज वनमाली

हृदयन की कुंज कुंज, गलियन में, छिप गये आज कहाँ वनमाली।

मनहर वह मुरलीधारी, क्यों रास खेलन नहीं आये वह गोवर्धनधारी

लगत नही चित्त काम में आज, चुरा गये चित्त वह मुरलीधारी।

धड़कन धडकन में उठत वह मुरली नाद, क्यों आज नही दे रहा सुनाई

क्यों आज नही दिखाई दे रहे, मंद मंद मुस्कुराते मोहन मुरलीधारी।

उलझन में पड़ गई राधा, क्यों आज नही आये मेरे प्यारे वनमाली

मनोमंथन हृदयमंथन हो गया शुरू राधा हो गई उसमें बावरी

खुल गये वहाँ तो नयन, दिखाई दिये मुस्कुराते हुए मुरलीधारी।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

rādhā bana gaī āja bāvarī, rādhā bana gaī āja bāvarī।

ṭukura-ṭukura nayana, dēkhata rāha, ḍhūm̐ḍha़ta hai vaha āja vanamālī

hr̥dayana kī kuṁja kuṁja, galiyana mēṁ, chipa gayē āja kahām̐ vanamālī।

manahara vaha muralīdhārī, kyōṁ rāsa khēlana nahīṁ āyē vaha gōvardhanadhārī

lagata nahī citta kāma mēṁ āja, curā gayē citta vaha muralīdhārī।

dhaḍa़kana dhaḍakana mēṁ uṭhata vaha muralī nāda, kyōṁ āja nahī dē rahā sunāī

kyōṁ āja nahī dikhāī dē rahē, maṁda maṁda muskurātē mōhana muralīdhārī।

ulajhana mēṁ paḍa़ gaī rādhā, kyōṁ āja nahī āyē mērē pyārē vanamālī

manōmaṁthana hr̥dayamaṁthana hō gayā śurū rādhā hō gaī usamēṁ bāvarī

khula gayē vahām̐ tō nayana, dikhāī diyē muskurātē huē muralīdhārī।
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Hindi Bhajan no. 6352 by Satguru Devendra Ghia - Kaka

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