Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6357 | Date: 20-Aug-1996
बुरा मान गये क्यों, बुरा मान गये क्यों
Burā māna gayē kyōṁ, burā māna gayē kyōṁ

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)



Hymn No. 6357 | Date: 20-Aug-1996

बुरा मान गये क्यों, बुरा मान गये क्यों

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burā māna gayē kyōṁ, burā māna gayē kyōṁ

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1996-08-20 1996-08-20 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=12346 बुरा मान गये क्यों, बुरा मान गये क्यों बुरा मान गये क्यों, बुरा मान गये क्यों

एक दिन करना पडेगा सामना, दिला दी याद किसी ने उसमें।

जब किया ही है, कहने वाले तो कहेंगे, किसी ने कह दिया उसमें

हर वक्त की मजाक, लगती थी ना जब अच्छी, हुए जब शामिल उसमें।

अपमान करने वालों से रह ना सके जब दूर, हुआ जब अपमान

थी कमी तो खुद में, दिखला दी वह किसी ने, उसमें।

है ना ताकत सबकी बराबर, हुई हार या जीत उसमें

हर ब़क्त जैसा बर्ताव कर ना सके इस बार मैं।

है स्वभाव सबका अलग अलग, दिखाई दी अलगता अन्य में, उसमें

हर समय, हर वक्त, रह ना सके कोई साथ में, तुम्हारे, इसमें।
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बुरा मान गये क्यों, बुरा मान गये क्यों

एक दिन करना पडेगा सामना, दिला दी याद किसी ने उसमें।

जब किया ही है, कहने वाले तो कहेंगे, किसी ने कह दिया उसमें

हर वक्त की मजाक, लगती थी ना जब अच्छी, हुए जब शामिल उसमें।

अपमान करने वालों से रह ना सके जब दूर, हुआ जब अपमान

थी कमी तो खुद में, दिखला दी वह किसी ने, उसमें।

है ना ताकत सबकी बराबर, हुई हार या जीत उसमें

हर ब़क्त जैसा बर्ताव कर ना सके इस बार मैं।

है स्वभाव सबका अलग अलग, दिखाई दी अलगता अन्य में, उसमें

हर समय, हर वक्त, रह ना सके कोई साथ में, तुम्हारे, इसमें।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

burā māna gayē kyōṁ, burā māna gayē kyōṁ

ēka dina karanā paḍēgā sāmanā, dilā dī yāda kisī nē usamēṁ।

jaba kiyā hī hai, kahanē vālē tō kahēṁgē, kisī nē kaha diyā usamēṁ

hara vakta kī majāka, lagatī thī nā jaba acchī, huē jaba śāmila usamēṁ।

apamāna karanē vālōṁ sē raha nā sakē jaba dūra, huā jaba apamāna

thī kamī tō khuda mēṁ, dikhalā dī vaha kisī nē, usamēṁ।

hai nā tākata sabakī barābara, huī hāra yā jīta usamēṁ

hara ba़kta jaisā bartāva kara nā sakē isa bāra maiṁ।

hai svabhāva sabakā alaga alaga, dikhāī dī alagatā anya mēṁ, usamēṁ

hara samaya, hara vakta, raha nā sakē kōī sātha mēṁ, tumhārē, isamēṁ।
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Hindi Bhajan no. 6357 by Satguru Devendra Ghia - Kaka

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