1997-10-12
1997-10-12
1997-10-12
https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=15044
सारी उमरिया व्यर्थ लूटा दी और उमरिया मैं कहाँ से लाऊँ?
सारी उमरिया व्यर्थ लूटा दी और उमरिया मैं कहाँ से लाऊँ?
असंतोष की आग जल रही है दिल में, सुख चैन कहाँ से पाऊँ?
दुःख दर्द है हकीकत जीवन की, हकीकत जीवन में वह कैसे बिसराऊँ?
मेरे ही किये पर रो रहा हूँ मैं, और कारण में कहाँ से लाऊँ?
दिल में क्रोध जला-जला के, पौधा मैं प्रेम का कहाँ से लगाऊँ?
इस दुनिया में दिल नहीं लगता, और दुनिया में कैसे बसाऊँ?
इस दुनिया में मेरे सिवाय मेरा कोई नही, औरोको मेरा कैसे बनाऊँ?
इस जग में लगती है हर बात अधूरी वह पूरी मैं कैसे कर पाऊँ?
रखता हूँ मुख हँसता, मैं दिल को रुला के, जग को मैं वह कैसे बताऊँ?
बीती उमरिया, बिना कुछ पाकर, और उमरिया मैं कहाँ से लाऊँ?
https://www.youtube.com/watch?v=8m_wDrtbPjE
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
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सारी उमरिया व्यर्थ लूटा दी और उमरिया मैं कहाँ से लाऊँ?
असंतोष की आग जल रही है दिल में, सुख चैन कहाँ से पाऊँ?
दुःख दर्द है हकीकत जीवन की, हकीकत जीवन में वह कैसे बिसराऊँ?
मेरे ही किये पर रो रहा हूँ मैं, और कारण में कहाँ से लाऊँ?
दिल में क्रोध जला-जला के, पौधा मैं प्रेम का कहाँ से लगाऊँ?
इस दुनिया में दिल नहीं लगता, और दुनिया में कैसे बसाऊँ?
इस दुनिया में मेरे सिवाय मेरा कोई नही, औरोको मेरा कैसे बनाऊँ?
इस जग में लगती है हर बात अधूरी वह पूरी मैं कैसे कर पाऊँ?
रखता हूँ मुख हँसता, मैं दिल को रुला के, जग को मैं वह कैसे बताऊँ?
बीती उमरिया, बिना कुछ पाकर, और उमरिया मैं कहाँ से लाऊँ?
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
sārī umariyā vyartha lūṭā dī aura umariyā maiṁ kahām̐ sē lāūm̐?
asaṁtōṣa kī āga jala rahī hai dila mēṁ, sukha caina kahām̐ sē pāūm̐?
duḥkha darda hai hakīkata jīvana kī, hakīkata jīvana mēṁ vaha kaisē bisarāūm̐?
mērē hī kiyē para rō rahā hūm̐ maiṁ, aura kāraṇa mēṁ kahām̐ sē lāūm̐?
dila mēṁ krōdha jalā-jalā kē, paudhā maiṁ prēma kā kahām̐ sē lagāūm̐?
isa duniyā mēṁ dila nahīṁ lagatā, aura duniyā mēṁ kaisē basāūm̐?
isa duniyā mēṁ mērē sivāya mērā kōī nahī, aurōkō mērā kaisē banāūm̐?
isa jaga mēṁ lagatī hai hara bāta adhūrī vaha pūrī maiṁ kaisē kara pāūm̐?
rakhatā hūm̐ mukha ham̐satā, maiṁ dila kō rulā kē, jaga kō maiṁ vaha kaisē batāūm̐?
bītī umariyā, binā kucha pākara, aura umariyā maiṁ kahām̐ sē lāūm̐?
सारी उमरिया व्यर्थ लूटा दी और उमरिया मैं कहाँ से लाऊँ?सारी उमरिया व्यर्थ लूटा दी और उमरिया मैं कहाँ से लाऊँ?
असंतोष की आग जल रही है दिल में, सुख चैन कहाँ से पाऊँ?
दुःख दर्द है हकीकत जीवन की, हकीकत जीवन में वह कैसे बिसराऊँ?
मेरे ही किये पर रो रहा हूँ मैं, और कारण में कहाँ से लाऊँ?
दिल में क्रोध जला-जला के, पौधा मैं प्रेम का कहाँ से लगाऊँ?
इस दुनिया में दिल नहीं लगता, और दुनिया में कैसे बसाऊँ?
इस दुनिया में मेरे सिवाय मेरा कोई नही, औरोको मेरा कैसे बनाऊँ?
इस जग में लगती है हर बात अधूरी वह पूरी मैं कैसे कर पाऊँ?
रखता हूँ मुख हँसता, मैं दिल को रुला के, जग को मैं वह कैसे बताऊँ?
बीती उमरिया, बिना कुछ पाकर, और उमरिया मैं कहाँ से लाऊँ?1997-10-12https://i.ytimg.com/vi/8m_wDrtbPjE/mqdefault.jpgBhaav Samadhi Vichaar Samadhi Kaka Bhajanshttps://www.youtube.com/watch?v=8m_wDrtbPjE
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