Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 7089 | Date: 29-Oct-1997
रुक जाइये रुक जाइये, जरा तो रुक जाइये
Ruka jāiyē ruka jāiyē, jarā tō ruka jāiyē

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 7089 | Date: 29-Oct-1997

रुक जाइये रुक जाइये, जरा तो रुक जाइये

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ruka jāiyē ruka jāiyē, jarā tō ruka jāiyē

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1997-10-29 1997-10-29 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=15078 रुक जाइये रुक जाइये, जरा तो रुक जाइये रुक जाइये रुक जाइये, जरा तो रुक जाइये,

आपके गलत निर्णयों का असर, अन्य पर तो ना डालिये।

है जहाँ भी आप, एक नज़र जरा उस पर तो डालिये,

सच है, या झूठ है, वक्त ही बतलायेगा, सदा यह याद रखिये।

जिम्मेदारी है खुद के विचारों की, ना किस्म़त पर जिम्मेदारी डालिये

रह गया है दिल में जो, वापस मिलेगा, जीवन में यह मत भूलिये।

कठिन होगा वापस लेना, गलत पैर जो बढ़ाया यह मत भूलिये।

करना है कठिनाइयों का तो सामना जीवन में, ना उसे बढाइये।

रुकना पड़े रुक जाइये, मंज़िल को ना नज़र से हटाइए,

पड़े अकेले चलना चलिये, ना राह किसी के लिये रुकिये।
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रुक जाइये रुक जाइये, जरा तो रुक जाइये,

आपके गलत निर्णयों का असर, अन्य पर तो ना डालिये।

है जहाँ भी आप, एक नज़र जरा उस पर तो डालिये,

सच है, या झूठ है, वक्त ही बतलायेगा, सदा यह याद रखिये।

जिम्मेदारी है खुद के विचारों की, ना किस्म़त पर जिम्मेदारी डालिये

रह गया है दिल में जो, वापस मिलेगा, जीवन में यह मत भूलिये।

कठिन होगा वापस लेना, गलत पैर जो बढ़ाया यह मत भूलिये।

करना है कठिनाइयों का तो सामना जीवन में, ना उसे बढाइये।

रुकना पड़े रुक जाइये, मंज़िल को ना नज़र से हटाइए,

पड़े अकेले चलना चलिये, ना राह किसी के लिये रुकिये।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

ruka jāiyē ruka jāiyē, jarā tō ruka jāiyē,

āpakē galata nirṇayōṁ kā asara, anya para tō nā ḍāliyē।

hai jahām̐ bhī āpa, ēka naja़ra jarā usa para tō ḍāliyē,

saca hai, yā jhūṭha hai, vakta hī batalāyēgā, sadā yaha yāda rakhiyē।

jimmēdārī hai khuda kē vicārōṁ kī, nā kisma़ta para jimmēdārī ḍāliyē

raha gayā hai dila mēṁ jō, vāpasa milēgā, jīvana mēṁ yaha mata bhūliyē।

kaṭhina hōgā vāpasa lēnā, galata paira jō baḍha़āyā yaha mata bhūliyē।

karanā hai kaṭhināiyōṁ kā tō sāmanā jīvana mēṁ, nā usē baḍhāiyē।

rukanā paḍa़ē ruka jāiyē, maṁja़ila kō nā naja़ra sē haṭāiē,

paḍa़ē akēlē calanā caliyē, nā rāha kisī kē liyē rukiyē।
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Hindi Bhajan no. 7089 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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