Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6659 | Date: 04-Mar-1997
चले गये उन गलियों में तो मेरे पाँव, जहाँ मुझे जाना नही था
Calē gayē una galiyōṁ mēṁ tō mērē pām̐va, jahām̐ mujhē jānā nahī thā

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

Hymn No. 6659 | Date: 04-Mar-1997

चले गये उन गलियों में तो मेरे पाँव, जहाँ मुझे जाना नही था

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calē gayē una galiyōṁ mēṁ tō mērē pām̐va, jahām̐ mujhē jānā nahī thā

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

1997-03-04 1997-03-04 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16646 चले गये उन गलियों में तो मेरे पाँव, जहाँ मुझे जाना नही था चले गये उन गलियों में तो मेरे पाँव, जहाँ मुझे जाना नही था,

खो गया मैं उन विचारों में, जिन विचारो में मुझे खोना ना था।

फिजूल बातों में वक्त गँवा रहा, जो वक्त मुझे गँवाना नही था,

शर्म से सिर मेरा झुक गया, जो जीवन में मुझे तो झुकाना नही था।

कह रहा हूँ मैं, मेरे कारवाएँ दास्ताँ, जो मुझे किसी से कहनी न थी,

करनी ना थी जीवन में किसी की शिकायत, मेरी ही शिकायत मैं करने लगा।

करनी ना थी, जीवन में किसी से मोहब्बत, खुदा मैं तुझ से मोहब्बत कर ब़ैठा,

ऐ दिल, अब तू फिक्र कर रहा है, जब तुझे फिक्र करने वाला मिल गया।

नज़र इधर-उधर, फिरनी बंद हो जायगा, एक बार उनकी नज़रों का मिलन हो जायेगा।
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चले गये उन गलियों में तो मेरे पाँव, जहाँ मुझे जाना नही था,

खो गया मैं उन विचारों में, जिन विचारो में मुझे खोना ना था।

फिजूल बातों में वक्त गँवा रहा, जो वक्त मुझे गँवाना नही था,

शर्म से सिर मेरा झुक गया, जो जीवन में मुझे तो झुकाना नही था।

कह रहा हूँ मैं, मेरे कारवाएँ दास्ताँ, जो मुझे किसी से कहनी न थी,

करनी ना थी जीवन में किसी की शिकायत, मेरी ही शिकायत मैं करने लगा।

करनी ना थी, जीवन में किसी से मोहब्बत, खुदा मैं तुझ से मोहब्बत कर ब़ैठा,

ऐ दिल, अब तू फिक्र कर रहा है, जब तुझे फिक्र करने वाला मिल गया।

नज़र इधर-उधर, फिरनी बंद हो जायगा, एक बार उनकी नज़रों का मिलन हो जायेगा।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

calē gayē una galiyōṁ mēṁ tō mērē pām̐va, jahām̐ mujhē jānā nahī thā,

khō gayā maiṁ una vicārōṁ mēṁ, jina vicārō mēṁ mujhē khōnā nā thā।

phijūla bātōṁ mēṁ vakta gam̐vā rahā, jō vakta mujhē gam̐vānā nahī thā,

śarma sē sira mērā jhuka gayā, jō jīvana mēṁ mujhē tō jhukānā nahī thā।

kaha rahā hūm̐ maiṁ, mērē kāravāēm̐ dāstām̐, jō mujhē kisī sē kahanī na thī,

karanī nā thī jīvana mēṁ kisī kī śikāyata, mērī hī śikāyata maiṁ karanē lagā।

karanī nā thī, jīvana mēṁ kisī sē mōhabbata, khudā maiṁ tujha sē mōhabbata kara ba़aiṭhā,

ai dila, aba tū phikra kara rahā hai, jaba tujhē phikra karanē vālā mila gayā।

naja़ra idhara-udhara, phiranī baṁda hō jāyagā, ēka bāra unakī naja़rōṁ kā milana hō jāyēgā।
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Hindi Bhajan no. 6659 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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