Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6739 | Date: 22-Apr-1997
मैं बोलूँ, या ना बोलूँ, कहूँ या ना कहूँ, फिर भी, तकदीर मेरी बोल देती है
Maiṁ bōlūm̐, yā nā bōlūm̐, kahūm̐ yā nā kahūm̐, phira bhī, takadīra mērī bōla dētī hai

સેવા, કર્મ, પુરુષાર્થ, જાગ્રતી, ભાગ્ચ (Service, Action, Strive, Alert, Destiny)

Hymn No. 6739 | Date: 22-Apr-1997

मैं बोलूँ, या ना बोलूँ, कहूँ या ना कहूँ, फिर भी, तकदीर मेरी बोल देती है

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maiṁ bōlūm̐, yā nā bōlūm̐, kahūm̐ yā nā kahūm̐, phira bhī, takadīra mērī bōla dētī hai

સેવા, કર્મ, પુરુષાર્થ, જાગ્રતી, ભાગ્ચ (Service, Action, Strive, Alert, Destiny)

1997-04-22 1997-04-22 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16726 मैं बोलूँ, या ना बोलूँ, कहूँ या ना कहूँ, फिर भी, तकदीर मेरी बोल देती है मैं बोलूँ, या ना बोलूँ, कहूँ या ना कहूँ, फिर भी, तकदीर मेरी बोल देती है,

कभी आँखे कह देती हैं, कभी चेहरे के लाल पीले रंग तो बोल देते है।

तकदीर आगे-आगे दौड़े मैं तकदीर के पीछे दौडूँ, फिर भी तकदीर हाथ नहीं आती है।

लंबी लंबी आहें मैं भरूँ, लंबी साँस तो मेरी, हालत मेरी बोल देती है।

मुख भावों का प्रदर्शन करता रहता है, मेरे मुख के भाव जीवन में बोल देते हैं।

अकसर बानी तो मेरी, भावों का प्रदर्शन करती रहती है, ना वह चूकती है।

कभी मौन भी मेरे भावों को बोल देते हैं, नज़र भी साथ उन्हें तो देती है।

रखता हूँ राज समझ के जो जो मेरे दिल में, तकदीर तो वह बोल देती है।

मारती है जो जो जीवन में, मेरे जीवन की कहानी वह बोल देती है।

विश्व के अणु अणु में भरी हुई है जो रौनक, तकदीर तो जीवन में वह भर देती है।
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मैं बोलूँ, या ना बोलूँ, कहूँ या ना कहूँ, फिर भी, तकदीर मेरी बोल देती है,

कभी आँखे कह देती हैं, कभी चेहरे के लाल पीले रंग तो बोल देते है।

तकदीर आगे-आगे दौड़े मैं तकदीर के पीछे दौडूँ, फिर भी तकदीर हाथ नहीं आती है।

लंबी लंबी आहें मैं भरूँ, लंबी साँस तो मेरी, हालत मेरी बोल देती है।

मुख भावों का प्रदर्शन करता रहता है, मेरे मुख के भाव जीवन में बोल देते हैं।

अकसर बानी तो मेरी, भावों का प्रदर्शन करती रहती है, ना वह चूकती है।

कभी मौन भी मेरे भावों को बोल देते हैं, नज़र भी साथ उन्हें तो देती है।

रखता हूँ राज समझ के जो जो मेरे दिल में, तकदीर तो वह बोल देती है।

मारती है जो जो जीवन में, मेरे जीवन की कहानी वह बोल देती है।

विश्व के अणु अणु में भरी हुई है जो रौनक, तकदीर तो जीवन में वह भर देती है।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

maiṁ bōlūm̐, yā nā bōlūm̐, kahūm̐ yā nā kahūm̐, phira bhī, takadīra mērī bōla dētī hai,

kabhī ām̐khē kaha dētī haiṁ, kabhī cēharē kē lāla pīlē raṁga tō bōla dētē hai।

takadīra āgē-āgē dauḍa़ē maiṁ takadīra kē pīchē dauḍūm̐, phira bhī takadīra hātha nahīṁ ātī hai।

laṁbī laṁbī āhēṁ maiṁ bharūm̐, laṁbī sām̐sa tō mērī, hālata mērī bōla dētī hai।

mukha bhāvōṁ kā pradarśana karatā rahatā hai, mērē mukha kē bhāva jīvana mēṁ bōla dētē haiṁ।

akasara bānī tō mērī, bhāvōṁ kā pradarśana karatī rahatī hai, nā vaha cūkatī hai।

kabhī mauna bhī mērē bhāvōṁ kō bōla dētē haiṁ, naja़ra bhī sātha unhēṁ tō dētī hai।

rakhatā hūm̐ rāja samajha kē jō jō mērē dila mēṁ, takadīra tō vaha bōla dētī hai।

māratī hai jō jō jīvana mēṁ, mērē jīvana kī kahānī vaha bōla dētī hai।

viśva kē aṇu aṇu mēṁ bharī huī hai jō raunaka, takadīra tō jīvana mēṁ vaha bhara dētī hai।
English Explanation Increase Font Decrease Font


In this bhajan Kakaji is highlighting we don't have to be speak loudily to express ourselves in fact emotions or expression speaks up.

Whether I say or not then too my fortune with speak up.

Sometimes my eyes speak up, sometimes red - yellow colour of my face speaks up.

The fate runs ahead and I run behind the fortune, and yet cannot hold the fortune in hand.

Long long heave of sighs, long breath of mine, this all condition speaks up for me.

My face keeps on displaying the feelings, all the emotions on my face speaks up about the life.

Everytime my words, expresses my emotions , it never fails.

Sometimes my silence also speaks up my emotions, sometimes even eye sight supports it.

I understand and keep all the secrets in my heart, the fate speaks up all.

The punches i get in my life, story of my life speaks it all.

In this world all the molecules is filled with beauty, fate fills it all in my life.
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Hindi Bhajan no. 6739 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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