Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6785 | Date: 18-May-1997
मिटा दे, मिटा दे, लगा हुआ सिर पर तेरे जो इल्जाम है
Miṭā dē, miṭā dē, lagā huā sira para tērē jō iljāma hai

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 6785 | Date: 18-May-1997

मिटा दे, मिटा दे, लगा हुआ सिर पर तेरे जो इल्जाम है

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miṭā dē, miṭā dē, lagā huā sira para tērē jō iljāma hai

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1997-05-18 1997-05-18 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16772 मिटा दे, मिटा दे, लगा हुआ सिर पर तेरे जो इल्जाम है मिटा दे, मिटा दे, लगा हुआ सिर पर तेरे जो इल्जाम है,

जीवन सफर लम्बा है, चलना आसान नही, थकना तेरा काम नही है।

मंजिल तो है लंबी, गलतियाँ ना होवे, देखना तो तेरा काम है,

करके काम शुरू, रखना ना अधूरा, करना पूरा तो तेरा काम है।

रख के चित्त मंजिल पर, पहुँचना मंजिल पर तो तेरा काम है

हर हालत में सिर उठाना, हालात के वश में ना आना तेरी शान है।

कर्मों की गलियों में है सफर तो तेरा, कर्मों मे फँसना ना तेरा काम है

स्थिर तो है मंजिल तो तेरी, मंजिल को हिला देना ना तेरा काम है।

तेरा प्रेम तो तेरी मंजिल है, प्रेम में तो डगमगना तो ना तेरा काम है

हर हालात में तो खुश रहना, यही तेरी मंजिल का तो द्वार है।
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मिटा दे, मिटा दे, लगा हुआ सिर पर तेरे जो इल्जाम है,

जीवन सफर लम्बा है, चलना आसान नही, थकना तेरा काम नही है।

मंजिल तो है लंबी, गलतियाँ ना होवे, देखना तो तेरा काम है,

करके काम शुरू, रखना ना अधूरा, करना पूरा तो तेरा काम है।

रख के चित्त मंजिल पर, पहुँचना मंजिल पर तो तेरा काम है

हर हालत में सिर उठाना, हालात के वश में ना आना तेरी शान है।

कर्मों की गलियों में है सफर तो तेरा, कर्मों मे फँसना ना तेरा काम है

स्थिर तो है मंजिल तो तेरी, मंजिल को हिला देना ना तेरा काम है।

तेरा प्रेम तो तेरी मंजिल है, प्रेम में तो डगमगना तो ना तेरा काम है

हर हालात में तो खुश रहना, यही तेरी मंजिल का तो द्वार है।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

miṭā dē, miṭā dē, lagā huā sira para tērē jō iljāma hai,

jīvana saphara lambā hai, calanā āsāna nahī, thakanā tērā kāma nahī hai।

maṁjila tō hai laṁbī, galatiyām̐ nā hōvē, dēkhanā tō tērā kāma hai,

karakē kāma śurū, rakhanā nā adhūrā, karanā pūrā tō tērā kāma hai।

rakha kē citta maṁjila para, pahum̐canā maṁjila para tō tērā kāma hai

hara hālata mēṁ sira uṭhānā, hālāta kē vaśa mēṁ nā ānā tērī śāna hai।

karmōṁ kī galiyōṁ mēṁ hai saphara tō tērā, karmōṁ mē pham̐sanā nā tērā kāma hai

sthira tō hai maṁjila tō tērī, maṁjila kō hilā dēnā nā tērā kāma hai।

tērā prēma tō tērī maṁjila hai, prēma mēṁ tō ḍagamaganā tō nā tērā kāma hai

hara hālāta mēṁ tō khuśa rahanā, yahī tērī maṁjila kā tō dvāra hai।
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Hindi Bhajan no. 6785 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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