Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6944 | Date: 19-Aug-1997
यदि मेरी निगाह को, तेरी निगाहों से मिलन के काबिल ना समझा
Yadi mērī nigāha kō, tērī nigāhōṁ sē milana kē kābila nā samajhā

પ્રાર્થના, ધ્યાન, અરજી, વિનંતી (Prayer, Meditation, Request)

Hymn No. 6944 | Date: 19-Aug-1997

यदि मेरी निगाह को, तेरी निगाहों से मिलन के काबिल ना समझा

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yadi mērī nigāha kō, tērī nigāhōṁ sē milana kē kābila nā samajhā

પ્રાર્થના, ધ્યાન, અરજી, વિનંતી (Prayer, Meditation, Request)

1997-08-19 1997-08-19 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16931 यदि मेरी निगाह को, तेरी निगाहों से मिलन के काबिल ना समझा यदि मेरी निगाह को, तेरी निगाहों से मिलन के काबिल ना समझा,

ना सही प्रभु, तेरी एक तिरछी नज़र की तो इनायत करना।

यदि समझा तूने प्रभु, सह ना सकेगी निगाह मेरी, तेज तो तेरा

तेरी निगाह के बाहर ना जा सकेंगे, तेरी तिरछी नज़र की तो इनायत करना।

दिल तो चाहता है सुख का साथ, सुख तो है तेरे चरणों में

ना हम पर से तो निगाह हटाना, तेरी एक तिरछी नज़र की तो इनायत करना।

जहाँ भी जाऊँ तू साथ में रहना, ना अकेला हमें रहने देना

ना इन्कार है मेरा तेरे चरणों को, तेरी एक तिरछी नज़र की तो इनायत करना।

रुक जाये जीवन में जहाँ कदम मेरा, कदमों में बल तू ही देना

मेरे कदमों को ऐसा चलाना, पहुँचाये दर पर तेरे, तेरी एक तिरछी नज़र की इनायत करना।
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यदि मेरी निगाह को, तेरी निगाहों से मिलन के काबिल ना समझा,

ना सही प्रभु, तेरी एक तिरछी नज़र की तो इनायत करना।

यदि समझा तूने प्रभु, सह ना सकेगी निगाह मेरी, तेज तो तेरा

तेरी निगाह के बाहर ना जा सकेंगे, तेरी तिरछी नज़र की तो इनायत करना।

दिल तो चाहता है सुख का साथ, सुख तो है तेरे चरणों में

ना हम पर से तो निगाह हटाना, तेरी एक तिरछी नज़र की तो इनायत करना।

जहाँ भी जाऊँ तू साथ में रहना, ना अकेला हमें रहने देना

ना इन्कार है मेरा तेरे चरणों को, तेरी एक तिरछी नज़र की तो इनायत करना।

रुक जाये जीवन में जहाँ कदम मेरा, कदमों में बल तू ही देना

मेरे कदमों को ऐसा चलाना, पहुँचाये दर पर तेरे, तेरी एक तिरछी नज़र की इनायत करना।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

yadi mērī nigāha kō, tērī nigāhōṁ sē milana kē kābila nā samajhā,

nā sahī prabhu, tērī ēka tirachī naja़ra kī tō ināyata karanā।

yadi samajhā tūnē prabhu, saha nā sakēgī nigāha mērī, tēja tō tērā

tērī nigāha kē bāhara nā jā sakēṁgē, tērī tirachī naja़ra kī tō ināyata karanā।

dila tō cāhatā hai sukha kā sātha, sukha tō hai tērē caraṇōṁ mēṁ

nā hama para sē tō nigāha haṭānā, tērī ēka tirachī naja़ra kī tō ināyata karanā।

jahām̐ bhī jāūm̐ tū sātha mēṁ rahanā, nā akēlā hamēṁ rahanē dēnā

nā inkāra hai mērā tērē caraṇōṁ kō, tērī ēka tirachī naja़ra kī tō ināyata karanā।

ruka jāyē jīvana mēṁ jahām̐ kadama mērā, kadamōṁ mēṁ bala tū hī dēnā

mērē kadamōṁ kō aisā calānā, pahum̐cāyē dara para tērē, tērī ēka tirachī naja़ra kī ināyata karanā।
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Hindi Bhajan no. 6944 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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