Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6959 | Date: 03-Sep-1997
तू ही तो चित्त में आता है, तू ही तो ख्वाब में आता है
Tū hī tō citta mēṁ ātā hai, tū hī tō khvāba mēṁ ātā hai

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

Hymn No. 6959 | Date: 03-Sep-1997

तू ही तो चित्त में आता है, तू ही तो ख्वाब में आता है

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tū hī tō citta mēṁ ātā hai, tū hī tō khvāba mēṁ ātā hai

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

1997-09-03 1997-09-03 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16946 तू ही तो चित्त में आता है, तू ही तो ख्वाब में आता है तू ही तो चित्त में आता है, तू ही तो ख्वाब में आता है,

तू तो सामने आता है, ना जाने किस किस रुप में तू ही तो आता है।

कभी कहाँ से आता है, कहाँ जाता है, ना पता लगने तो देता है

तू तो जहाँ भी रहता है, हमें तो खुश देखना चाहता है।

तू ही तो सब कुछ करता है, तू ही तो एक सबका जानकार है

कभी भी ना तू किसी का बुरा करता है, फिर क्यों तेरे पास कोई नही आता है

तेरे पास पहुँचने का रास्ता है सरल, फिर जग वह क्यों नही अपनाता है

तू दिलों दिमाग की सफाई का हिमायती है, वह साफ करके कोई नही आता है।

सब में सब के आसपास तेरा ही तो वास है, फिर भी ना तू दिखाई देता है

तू तो हर जगह तो रहता है, ना तेरा कही तो आना जाना रहता है।
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तू ही तो चित्त में आता है, तू ही तो ख्वाब में आता है,

तू तो सामने आता है, ना जाने किस किस रुप में तू ही तो आता है।

कभी कहाँ से आता है, कहाँ जाता है, ना पता लगने तो देता है

तू तो जहाँ भी रहता है, हमें तो खुश देखना चाहता है।

तू ही तो सब कुछ करता है, तू ही तो एक सबका जानकार है

कभी भी ना तू किसी का बुरा करता है, फिर क्यों तेरे पास कोई नही आता है

तेरे पास पहुँचने का रास्ता है सरल, फिर जग वह क्यों नही अपनाता है

तू दिलों दिमाग की सफाई का हिमायती है, वह साफ करके कोई नही आता है।

सब में सब के आसपास तेरा ही तो वास है, फिर भी ना तू दिखाई देता है

तू तो हर जगह तो रहता है, ना तेरा कही तो आना जाना रहता है।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

tū hī tō citta mēṁ ātā hai, tū hī tō khvāba mēṁ ātā hai,

tū tō sāmanē ātā hai, nā jānē kisa kisa rupa mēṁ tū hī tō ātā hai।

kabhī kahām̐ sē ātā hai, kahām̐ jātā hai, nā patā laganē tō dētā hai

tū tō jahām̐ bhī rahatā hai, hamēṁ tō khuśa dēkhanā cāhatā hai।

tū hī tō saba kucha karatā hai, tū hī tō ēka sabakā jānakāra hai

kabhī bhī nā tū kisī kā burā karatā hai, phira kyōṁ tērē pāsa kōī nahī ātā hai

tērē pāsa pahum̐canē kā rāstā hai sarala, phira jaga vaha kyōṁ nahī apanātā hai

tū dilōṁ dimāga kī saphāī kā himāyatī hai, vaha sāpha karakē kōī nahī ātā hai।

saba mēṁ saba kē āsapāsa tērā hī tō vāsa hai, phira bhī nā tū dikhāī dētā hai

tū tō hara jagaha tō rahatā hai, nā tērā kahī tō ānā jānā rahatā hai।
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Hindi Bhajan no. 6959 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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