1998-08-25
1998-08-25
1998-08-25
https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=17541
नतीजा जीवन में मेरा, निकला देखकर मैं चौंक उठा
नतीजा जीवन में मेरा, निकला देखकर मैं चौंक उठा,
थी उम्मीदें भरी हुई दिल में, पानी उस पर फिर गया।
रचे थे सफलता के सपने, निष्फलता का घूँट पीना पड़ा,
न आई भूल नज़र में, मेरी, फिर भी भूलों से था जुड़ा।
जहाँ-जहाँ नजर मैंने डाली, नक्शा रंगीन मेरा बदल गया,
बेशुमार जज्बातों का तूफान, मेरे दिल में तो उठा।
सोच-सोच के मन भी थक गया, भूलों का पता ना चला,
कदम किस दिशा में बढ़ाऊँ, मन मेरा दिशा शून्य बन गया।
लगी गहरी चोट मेरे अहं पर, मन की समतुला मैं खो बैठा,
आँखे बंद कर दी मैंने, माँ हँसकर के बोली, तेरे अहं का नतीजा निकला।
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
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नतीजा जीवन में मेरा, निकला देखकर मैं चौंक उठा,
थी उम्मीदें भरी हुई दिल में, पानी उस पर फिर गया।
रचे थे सफलता के सपने, निष्फलता का घूँट पीना पड़ा,
न आई भूल नज़र में, मेरी, फिर भी भूलों से था जुड़ा।
जहाँ-जहाँ नजर मैंने डाली, नक्शा रंगीन मेरा बदल गया,
बेशुमार जज्बातों का तूफान, मेरे दिल में तो उठा।
सोच-सोच के मन भी थक गया, भूलों का पता ना चला,
कदम किस दिशा में बढ़ाऊँ, मन मेरा दिशा शून्य बन गया।
लगी गहरी चोट मेरे अहं पर, मन की समतुला मैं खो बैठा,
आँखे बंद कर दी मैंने, माँ हँसकर के बोली, तेरे अहं का नतीजा निकला।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
natījā jīvana mēṁ mērā, nikalā dēkhakara maiṁ cauṁka uṭhā,
thī ummīdēṁ bharī huī dila mēṁ, pānī usa para phira gayā।
racē thē saphalatā kē sapanē, niṣphalatā kā ghūm̐ṭa pīnā paḍa़ā,
na āī bhūla naja़ra mēṁ, mērī, phira bhī bhūlōṁ sē thā juḍa़ā।
jahām̐-jahām̐ najara maiṁnē ḍālī, nakśā raṁgīna mērā badala gayā,
bēśumāra jajbātōṁ kā tūphāna, mērē dila mēṁ tō uṭhā।
sōca-sōca kē mana bhī thaka gayā, bhūlōṁ kā patā nā calā,
kadama kisa diśā mēṁ baḍha़āūm̐, mana mērā diśā śūnya bana gayā।
lagī gaharī cōṭa mērē ahaṁ para, mana kī samatulā maiṁ khō baiṭhā,
ām̐khē baṁda kara dī maiṁnē, mām̐ ham̐sakara kē bōlī, tērē ahaṁ kā natījā nikalā।
English Explanation |
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In this bhajan Kakaji also known formally as Shri Devendra Ghia ji is talking about the play of Ego of a seeker and it's result.
Result of mine in life has come, I am shocked by it.
My heart was full of expectations, all those expectations are lost.
Had created dreams of success, but had to take sip of failure.
I could not see my faults, I was associated with faults.
Wherever I turned my gaze, colour of map changed.
Storm of countless emotions has risen in my heart.
My mind has got tired of thinking, could not find fault.
In which direction do I raise my feet, my mind has become direction less .
My ego has been deeply hurt, my mind has lost its balance.
I have closed my eyes, smiling divine mother told this is result of your ego.
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