Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 7644 | Date: 17-Oct-1998
खुदा कैसी मुसीबतों में हम हमारी जिंदगानी जी रहे हैं
Khudā kaisī musībatōṁ mēṁ hama hamārī jiṁdagānī jī rahē haiṁ

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 7644 | Date: 17-Oct-1998

खुदा कैसी मुसीबतों में हम हमारी जिंदगानी जी रहे हैं

  No Audio

khudā kaisī musībatōṁ mēṁ hama hamārī jiṁdagānī jī rahē haiṁ

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1998-10-17 1998-10-17 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=17631 खुदा कैसी मुसीबतों में हम हमारी जिंदगानी जी रहे हैं खुदा कैसी मुसीबतों में हम हमारी जिंदगानी जी रहे हैं,

वृत्तिओं के प्रवाह में बह के हम वृत्तिओं में खींचे जा रहे हैं।

जीना है जीवन कैसे, भूल के, दुर्गतियों के ओर बह रहे हैं,

खुमारी खो बैठे हैं, जीवन में मुर्दे की तरह जी रहे हैं।

प्रेम खो के जीवन में दिल में बैर को तो बसा रहे हैं

इच्छाओं को बेकाबू बना के, जीवन में इच्छाएँ बढ़ा रहे हैं।

जीवन में गम खोना भूलकर, जीवन में तूफान मचा रहे हैं

जीवन में औरों का आदर करना भूलकर, आदर चाह रहे हैं।

जिंदादिली से जीना छोड़ के, दिल को ठेस पहुँचा रहे हैं,

इन्सान बनकर आये हैं, फिर भी इन्सानियत भूल गये हैं।
View Original Increase Font Decrease Font


खुदा कैसी मुसीबतों में हम हमारी जिंदगानी जी रहे हैं,

वृत्तिओं के प्रवाह में बह के हम वृत्तिओं में खींचे जा रहे हैं।

जीना है जीवन कैसे, भूल के, दुर्गतियों के ओर बह रहे हैं,

खुमारी खो बैठे हैं, जीवन में मुर्दे की तरह जी रहे हैं।

प्रेम खो के जीवन में दिल में बैर को तो बसा रहे हैं

इच्छाओं को बेकाबू बना के, जीवन में इच्छाएँ बढ़ा रहे हैं।

जीवन में गम खोना भूलकर, जीवन में तूफान मचा रहे हैं

जीवन में औरों का आदर करना भूलकर, आदर चाह रहे हैं।

जिंदादिली से जीना छोड़ के, दिल को ठेस पहुँचा रहे हैं,

इन्सान बनकर आये हैं, फिर भी इन्सानियत भूल गये हैं।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

khudā kaisī musībatōṁ mēṁ hama hamārī jiṁdagānī jī rahē haiṁ,

vr̥ttiōṁ kē pravāha mēṁ baha kē hama vr̥ttiōṁ mēṁ khīṁcē jā rahē haiṁ।

jīnā hai jīvana kaisē, bhūla kē, durgatiyōṁ kē ōra baha rahē haiṁ,

khumārī khō baiṭhē haiṁ, jīvana mēṁ murdē kī taraha jī rahē haiṁ।

prēma khō kē jīvana mēṁ dila mēṁ baira kō tō basā rahē haiṁ

icchāōṁ kō bēkābū banā kē, jīvana mēṁ icchāēm̐ baḍha़ā rahē haiṁ।

jīvana mēṁ gama khōnā bhūlakara, jīvana mēṁ tūphāna macā rahē haiṁ

jīvana mēṁ aurōṁ kā ādara karanā bhūlakara, ādara cāha rahē haiṁ।

jiṁdādilī sē jīnā chōḍa़ kē, dila kō ṭhēsa pahum̐cā rahē haiṁ,

insāna banakara āyē haiṁ, phira bhī insāniyata bhūla gayē haiṁ।
Scan Image

Hindi Bhajan no. 7644 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
First...763976407641...Last