1995-02-23
1995-02-23
1995-02-23
https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=1187
ना मैं फरिश्ता हूँ, झूठी शानें में डूबा हुआ एक मामूली इन्सान हूँ
ना मैं फरिश्ता हूँ, झूठी शानें में डूबा हुआ एक मामूली इन्सान हूँ,
इन झूठी शानों में डूबकर, इन झूठी शानों से मैं परेशान हूँ।
हर एक शान तो मेरी शान है, मेरी शान ही तो मेरी पहचान है,
कई शान बढ़ा रही है शान मेरी, कई शान से मैं तो परेशान हूँ।
प्रेम मेरा आधार है, प्रेम मेरी ज़िंदगी है, प्रेम तो ज़िंदगी की शान है,
प्यार जीवन का आधार है, प्यार जीवन की माँग है, प्यार जीवन की शान है।
टकराई जब शान के सामने शान, जंग ही वह शान की तो शान है,
रोना ना ज़िंदगी की तो शान है, हर हालत में मुस्कुराना जीवन की शान है।
छेड़ दी है जब जंग तो जीवन में, जीत ही तो जंग की तो शान है,
प्रभु प्रेम ही है जीवन का नशा मेरा, वह नशा तो मेरे जीवन की शान है।
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
|
View Original |
|
ना मैं फरिश्ता हूँ, झूठी शानें में डूबा हुआ एक मामूली इन्सान हूँ,
इन झूठी शानों में डूबकर, इन झूठी शानों से मैं परेशान हूँ।
हर एक शान तो मेरी शान है, मेरी शान ही तो मेरी पहचान है,
कई शान बढ़ा रही है शान मेरी, कई शान से मैं तो परेशान हूँ।
प्रेम मेरा आधार है, प्रेम मेरी ज़िंदगी है, प्रेम तो ज़िंदगी की शान है,
प्यार जीवन का आधार है, प्यार जीवन की माँग है, प्यार जीवन की शान है।
टकराई जब शान के सामने शान, जंग ही वह शान की तो शान है,
रोना ना ज़िंदगी की तो शान है, हर हालत में मुस्कुराना जीवन की शान है।
छेड़ दी है जब जंग तो जीवन में, जीत ही तो जंग की तो शान है,
प्रभु प्रेम ही है जीवन का नशा मेरा, वह नशा तो मेरे जीवन की शान है।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
nā maiṁ phariśtā hūm̐, jhūṭhī śānēṁ mēṁ ḍūbā huā ēka māmūlī insāna hūm̐,
ina jhūṭhī śānōṁ mēṁ ḍūbakara, ina jhūṭhī śānōṁ sē maiṁ parēśāna hūm̐।
hara ēka śāna tō mērī śāna hai, mērī śāna hī tō mērī pahacāna hai,
kaī śāna baḍha़ā rahī hai śāna mērī, kaī śāna sē maiṁ tō parēśāna hūm̐।
prēma mērā ādhāra hai, prēma mērī ja़iṁdagī hai, prēma tō ja़iṁdagī kī śāna hai,
pyāra jīvana kā ādhāra hai, pyāra jīvana kī mām̐ga hai, pyāra jīvana kī śāna hai।
ṭakarāī jaba śāna kē sāmanē śāna, jaṁga hī vaha śāna kī tō śāna hai,
rōnā nā ja़iṁdagī kī tō śāna hai, hara hālata mēṁ muskurānā jīvana kī śāna hai।
chēḍa़ dī hai jaba jaṁga tō jīvana mēṁ, jīta hī tō jaṁga kī tō śāna hai,
prabhu prēma hī hai jīvana kā naśā mērā, vaha naśā tō mērē jīvana kī śāna hai।
English Explanation: |
|
I am not an angel, I am just a simple human caught in false pride.
I am tied down by this false pride and now I am tired of this false dignity.
Each and every praise is my pride, my dignity is my identity.
Quite a few compliments increase my pride, quite a few compliments harass me.
Love is my support, love is my life, love is the dignity of life.
Affection is the support of life, life demands affection, affection is the pride of life.
When pride confronts pride, war is the pride of that pride.
Not to cry is the pride of life, to smile in all circumstances is the dignity of life.
When war has been declared in life, then victory is the pride of the war.
The love of God is my addiction in life, this addiction is my pride in life.
|