1996-08-31
1996-08-31
1996-08-31
https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=12355
जाने अनजाने वही गुनाह में करता रहा
जाने अनजाने वही गुनाह में करता रहा,
आदत की जोर ने तो मुझे, मजबूर बना दिया।
सुबह किया हुआ संकल्प, शाम तक भी ना टिकता,
गिरना, उठना, निस दिन का क्रम बना दिया।
विचारों की आँधियों में पहले से फँस गया
करना पड़ा हर दिन गलतियों का मुझे तो सामना।
ना मैं उसमें बढ़ सका, ना पहाड़ जैसे खड़ा रह सका,
बढ़ती गई कमजोरी, कमजोरियो में, मैं डूबता गया।
देखते हुए भी, अंधा मैं तो बनता ही गया,
इस हाल पर में पहुँच गया, हाल सहन ना कर सका, ना रोक सका।
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
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जाने अनजाने वही गुनाह में करता रहा,
आदत की जोर ने तो मुझे, मजबूर बना दिया।
सुबह किया हुआ संकल्प, शाम तक भी ना टिकता,
गिरना, उठना, निस दिन का क्रम बना दिया।
विचारों की आँधियों में पहले से फँस गया
करना पड़ा हर दिन गलतियों का मुझे तो सामना।
ना मैं उसमें बढ़ सका, ना पहाड़ जैसे खड़ा रह सका,
बढ़ती गई कमजोरी, कमजोरियो में, मैं डूबता गया।
देखते हुए भी, अंधा मैं तो बनता ही गया,
इस हाल पर में पहुँच गया, हाल सहन ना कर सका, ना रोक सका।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
jānē anajānē vahī gunāha mēṁ karatā rahā,
ādata kī jōra nē tō mujhē, majabūra banā diyā।
subaha kiyā huā saṁkalpa, śāma taka bhī nā ṭikatā,
giranā, uṭhanā, nisa dina kā krama banā diyā।
vicārōṁ kī ām̐dhiyōṁ mēṁ pahalē sē pham̐sa gayā
karanā paḍa़ā hara dina galatiyōṁ kā mujhē tō sāmanā।
nā maiṁ usamēṁ baḍha़ sakā, nā pahāḍa़ jaisē khaḍa़ā raha sakā,
baḍha़tī gaī kamajōrī, kamajōriyō mēṁ, maiṁ ḍūbatā gayā।
dēkhatē huē bhī, aṁdhā maiṁ tō banatā hī gayā,
isa hāla para mēṁ pahum̐ca gayā, hāla sahana nā kara sakā, nā rōka sakā।
English Explanation |
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In this bhajan Shri Devendra Ghia ji (kakaji) is focusing on the effects of habits and weak will power on seeker.
Knowingly, unknowingly, kept on doing the same crime.
The force of habit compelled me.
Resolution (oath) made in the morning, does not last even till evening.
Fall, rise became order of ever day.
Struck in the Strom of thoughts, I had to face mistakes every day.
Neither I could rise in it, nor could I stand like a mountain.
Weakness grew, I drowned in weaknesses.
Even after seeing, I became blind.
Reached such condition, could not bear it nor could stop it.
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