1997-10-16
1997-10-16
1997-10-16
https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=15056
ना है मुझे किसी से शिकायत, ना करनी है किसी की शिकायत मुझे
ना है मुझे किसी से शिकायत, ना करनी है किसी की शिकायत मुझे,
पूछो ना हाल मुझे मेरा, इस जहाँ में, जी रहा हूँ तो मैं कैसे।
दर्द को तो बनाया है तो साथी, करूँ मैं शिकायत इसकी तो कैसे?
सुख-चैन की गलियाँ भूल गया हूँ, करूँ इन गलियों को याद कैसे?
हर हाल में तो है जीना जीवन में, भूलूँ तो यह बात तो मैं कैसे?
कर रहा है दुःख शरारत तो जीवन में, इस बात की करूँ शिकायत कैसे?
दुःख दर्द से भरी है झोली मेरी किस्मत की, करूँ खाली मैं वह तो कैसे?
हर साँस दी हुई है प्रभु की, दिला रही है याद प्रभु की भूलूँ मैं कैसे?
हूँ मैं फूल प्रभु के आँगन का, खिलना है तो मुझे, खिलाये प्रभु जैसे,
करनी नही है शिकायत किसी की, करनी है तो शिकायत मेरी तो मुझ से।
https://www.youtube.com/watch?v=rYqcuEE58Pc
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
|
View Original |
|
ना है मुझे किसी से शिकायत, ना करनी है किसी की शिकायत मुझे,
पूछो ना हाल मुझे मेरा, इस जहाँ में, जी रहा हूँ तो मैं कैसे।
दर्द को तो बनाया है तो साथी, करूँ मैं शिकायत इसकी तो कैसे?
सुख-चैन की गलियाँ भूल गया हूँ, करूँ इन गलियों को याद कैसे?
हर हाल में तो है जीना जीवन में, भूलूँ तो यह बात तो मैं कैसे?
कर रहा है दुःख शरारत तो जीवन में, इस बात की करूँ शिकायत कैसे?
दुःख दर्द से भरी है झोली मेरी किस्मत की, करूँ खाली मैं वह तो कैसे?
हर साँस दी हुई है प्रभु की, दिला रही है याद प्रभु की भूलूँ मैं कैसे?
हूँ मैं फूल प्रभु के आँगन का, खिलना है तो मुझे, खिलाये प्रभु जैसे,
करनी नही है शिकायत किसी की, करनी है तो शिकायत मेरी तो मुझ से।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
nā hai mujhē kisī sē śikāyata, nā karanī hai kisī kī śikāyata mujhē,
pūchō nā hāla mujhē mērā, isa jahām̐ mēṁ, jī rahā hūm̐ tō maiṁ kaisē।
darda kō tō banāyā hai tō sāthī, karūm̐ maiṁ śikāyata isakī tō kaisē?
sukha-caina kī galiyām̐ bhūla gayā hūm̐, karūm̐ ina galiyōṁ kō yāda kaisē?
hara hāla mēṁ tō hai jīnā jīvana mēṁ, bhūlūm̐ tō yaha bāta tō maiṁ kaisē?
kara rahā hai duḥkha śarārata tō jīvana mēṁ, isa bāta kī karūm̐ śikāyata kaisē?
duḥkha darda sē bharī hai jhōlī mērī kismata kī, karūm̐ khālī maiṁ vaha tō kaisē?
hara sām̐sa dī huī hai prabhu kī, dilā rahī hai yāda prabhu kī bhūlūm̐ maiṁ kaisē?
hūm̐ maiṁ phūla prabhu kē ām̐gana kā, khilanā hai tō mujhē, khilāyē prabhu jaisē,
karanī nahī hai śikāyata kisī kī, karanī hai tō śikāyata mērī tō mujha sē।
English Explanation |
|
In this bhajan Our beloved Kakaji also known as Shri Devendra Ghia ji is displaying the belief and surrender to god of a true devotee even in the face of extreme troubles in life.
Neither I have complain with any one, nor I want to complain about any one.
Don't ask me my condition, in this world how am I living.
I have made pain my pal, how do I complain about it?
I have forgotten the streets of happiness and peace, how do I remember those streets?
In any condition I have to live this life, how do I forget this?
Sorrow is doing mischief in life, how should I complain about this?
My destiny is full of sorrow and pain, how do I empty it?
Every breath is given by god, reminding me of god how do I forget it?
I am flower of Lords courtyard, I will blossom, the way lord wants.
I have no complain to make about anyone, if I have to then I will complain about me to myself.
|