1996-04-09
1996-04-09
1996-04-09
https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=12200
आज मुझे भी तो कुछ कहने दो, मुझे भी तो कुछ कहने दो
आज मुझे भी तो कुछ कहने दो, मुझे भी तो कुछ कहने दो,
हूँ मैं अंतर की आवाज तेरी, मुझे भी बाहर आने दो, मुझे भी कुछ कहने दो।
मैं कैसे और क्यों दब गया, आज मुझे भी वह बतलाने दो,
आवाज मेरी क्यों ना सुनाई दी, वह आज मुझे भी पूछने दो।
थी मैं तो तेरे में ही छिपी, क्यों वह तुझे, सुनाई नही दिया, वह मुझे पूछने दो,
ना रखा ध्यान तूने मेरी ओर, था व्यस्त तू कहाँ, वह मुझे पूछने दो।
तूने तो तेरी चलाई, मेरी ना सुनी, आज हाल तेरा मुझे पूछने दो।
कौन तुझे खोल गया, तू किस चीज में खो गया, आज मुझे वह जानने दो।
ना तेरे मुख पे हँसी दिखाई देती है, क्यों खो गया आज मुझे वह जानने दो।
ना तेरे मुँह पर हँसी दिखाई देती है, क्यों चिंता से तू घिरा हुआ दिखाई देता है,
की अवहेलना तूने खूब मेरी, अब ना करना, वह आज मुझे, तुझे कहने दो।
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
|
View Original |
|
आज मुझे भी तो कुछ कहने दो, मुझे भी तो कुछ कहने दो,
हूँ मैं अंतर की आवाज तेरी, मुझे भी बाहर आने दो, मुझे भी कुछ कहने दो।
मैं कैसे और क्यों दब गया, आज मुझे भी वह बतलाने दो,
आवाज मेरी क्यों ना सुनाई दी, वह आज मुझे भी पूछने दो।
थी मैं तो तेरे में ही छिपी, क्यों वह तुझे, सुनाई नही दिया, वह मुझे पूछने दो,
ना रखा ध्यान तूने मेरी ओर, था व्यस्त तू कहाँ, वह मुझे पूछने दो।
तूने तो तेरी चलाई, मेरी ना सुनी, आज हाल तेरा मुझे पूछने दो।
कौन तुझे खोल गया, तू किस चीज में खो गया, आज मुझे वह जानने दो।
ना तेरे मुख पे हँसी दिखाई देती है, क्यों खो गया आज मुझे वह जानने दो।
ना तेरे मुँह पर हँसी दिखाई देती है, क्यों चिंता से तू घिरा हुआ दिखाई देता है,
की अवहेलना तूने खूब मेरी, अब ना करना, वह आज मुझे, तुझे कहने दो।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
āja mujhē bhī tō kucha kahanē dō, mujhē bhī tō kucha kahanē dō,
hūm̐ maiṁ aṁtara kī āvāja tērī, mujhē bhī bāhara ānē dō, mujhē bhī kucha kahanē dō।
maiṁ kaisē aura kyōṁ daba gayā, āja mujhē bhī vaha batalānē dō,
āvāja mērī kyōṁ nā sunāī dī, vaha āja mujhē bhī pūchanē dō।
thī maiṁ tō tērē mēṁ hī chipī, kyōṁ vaha tujhē, sunāī nahī diyā, vaha mujhē pūchanē dō,
nā rakhā dhyāna tūnē mērī ōra, thā vyasta tū kahām̐, vaha mujhē pūchanē dō।
tūnē tō tērī calāī, mērī nā sunī, āja hāla tērā mujhē pūchanē dō।
kauna tujhē khōla gayā, tū kisa cīja mēṁ khō gayā, āja mujhē vaha jānanē dō।
nā tērē mukha pē ham̐sī dikhāī dētī hai, kyōṁ khō gayā āja mujhē vaha jānanē dō।
nā tērē mum̐ha para ham̐sī dikhāī dētī hai, kyōṁ ciṁtā sē tū ghirā huā dikhāī dētā hai,
kī avahēlanā tūnē khūba mērī, aba nā karanā, vaha āja mujhē, tujhē kahanē dō।
English Explanation |
|
In this enchanting Bhajan Shre Devendra Ghia ji also fondly known as Kakaji is representing the suppressed inner voice of humans
Let me say something today, Let me say something too.
I am your inner voice , let me come out, let me say something too.
How and why was I depressed, today let me tell that too.
Why was my voice not heard, let me ask this today.
I was there within you, you weren't able to hear me, let me ask you that.
You did not look after me, where were you busy, let me ask you that.
You did as you desired, you never heard me, today let me ask how are you.
Who misguided you, what are you lost in, let me know that today.
Neither there is laugh (happiness) on your face, why do you look worried.
You always disregard me, no longer do that, today let me say that to you.
|