1996-10-11
1996-10-11
1996-10-11
https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=12401
लो सुबह हो गई, फिर भी सूरज ना निकला
लो सुबह हो गई, फिर भी सूरज ना निकला
रात गुजारी अँधेरे में, आस भरी थी किरणों की दिल में।
गिन गिन के रात कटी, बैरी बनके समय रुक गया
रात भर के अँधेरे में, ना बादल देखा, ना बादलों का ख्वाब देखा।
फिर भी ना उजाले का दर्शन मिला, ना किरणों का दर्शन हुआ
परमप्रेम का दीप जलाया अँधेरे में, वही तो आस बन गई।
खो गया मैं दीप के उजाले में, समझ में ना आया रात कैसे कटी
भरा भरा दिल में, वह ज्योत का प्रकाश फैलते गया।
किरणों की आस का दीप तो दिल में जलता रहा
जब आँख खुली, सूर्य किरणों के दर्शन मिले।
https://www.youtube.com/watch?v=LuFAN7Dvzhs
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
|
View Original |
|
लो सुबह हो गई, फिर भी सूरज ना निकला
रात गुजारी अँधेरे में, आस भरी थी किरणों की दिल में।
गिन गिन के रात कटी, बैरी बनके समय रुक गया
रात भर के अँधेरे में, ना बादल देखा, ना बादलों का ख्वाब देखा।
फिर भी ना उजाले का दर्शन मिला, ना किरणों का दर्शन हुआ
परमप्रेम का दीप जलाया अँधेरे में, वही तो आस बन गई।
खो गया मैं दीप के उजाले में, समझ में ना आया रात कैसे कटी
भरा भरा दिल में, वह ज्योत का प्रकाश फैलते गया।
किरणों की आस का दीप तो दिल में जलता रहा
जब आँख खुली, सूर्य किरणों के दर्शन मिले।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
lō subaha hō gaī, phira bhī sūraja nā nikalā
rāta gujārī am̐dhērē mēṁ, āsa bharī thī kiraṇōṁ kī dila mēṁ।
gina gina kē rāta kaṭī, bairī banakē samaya ruka gayā
rāta bhara kē am̐dhērē mēṁ, nā bādala dēkhā, nā bādalōṁ kā khvāba dēkhā।
phira bhī nā ujālē kā darśana milā, nā kiraṇōṁ kā darśana huā
paramaprēma kā dīpa jalāyā am̐dhērē mēṁ, vahī tō āsa bana gaī।
khō gayā maiṁ dīpa kē ujālē mēṁ, samajha mēṁ nā āyā rāta kaisē kaṭī
bharā bharā dila mēṁ, vaha jyōta kā prakāśa phailatē gayā।
kiraṇōṁ kī āsa kā dīpa tō dila mēṁ jalatā rahā
jaba ām̐kha khulī, sūrya kiraṇōṁ kē darśana milē।
|
|