Hymn No. 3265 | Date: 02-Jul-1991
आया जग में जब तू अकेला, जायेगा जग से अकेला, ना कुछ लाया, ना लेकर जायेगा
āyā jaga mēṁ jaba tū akēlā, jāyēgā jaga sē akēlā, nā kucha lāyā, nā lēkara jāyēgā
જ્ઞાન, સત્ય, આભાર (Knowledge, Truth, Thanks)
1991-07-02
1991-07-02
1991-07-02
https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=14254
आया जग में जब तू अकेला, जायेगा जग से अकेला, ना कुछ लाया, ना लेकर जायेगा
आया जग में जब तू अकेला, जायेगा जग से अकेला, ना कुछ लाया, ना लेकर जायेगा
समझ सके तो समझ ही जाना, ना कोई है तेरा ना कोई पराया।
है चंद दिनों का जग में बसेरा, ना कोई जग में कायम रहने पाया,
बनाया किसको तूने अपना, बनाया किसको तूने पराया?
जो हाल है तेरा, है हाल सबका, फिर किस बात का रोना आया?
मिला है जो तुझे, मिला है सबको, फिर किस बातका रोना आया?
पाता रहा है जग में तू तो, किस बात का गम तुझे आया?
सब ले ले के भी संतोष न पाया, द्वार दुःख अपने हाथ ही खोला
जरूरतें कम जिसने रखी, सुख के नजदीक वह पहुँच पाया।
https://www.youtube.com/watch?v=8HZQx5AkaxM
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
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आया जग में जब तू अकेला, जायेगा जग से अकेला, ना कुछ लाया, ना लेकर जायेगा
समझ सके तो समझ ही जाना, ना कोई है तेरा ना कोई पराया।
है चंद दिनों का जग में बसेरा, ना कोई जग में कायम रहने पाया,
बनाया किसको तूने अपना, बनाया किसको तूने पराया?
जो हाल है तेरा, है हाल सबका, फिर किस बात का रोना आया?
मिला है जो तुझे, मिला है सबको, फिर किस बातका रोना आया?
पाता रहा है जग में तू तो, किस बात का गम तुझे आया?
सब ले ले के भी संतोष न पाया, द्वार दुःख अपने हाथ ही खोला
जरूरतें कम जिसने रखी, सुख के नजदीक वह पहुँच पाया।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
āyā jaga mēṁ jaba tū akēlā, jāyēgā jaga sē akēlā, nā kucha lāyā, nā lēkara jāyēgā
samajha sakē tō samajha hī jānā, nā kōī hai tērā nā kōī parāyā।
hai caṁda dinōṁ kā jaga mēṁ basērā, nā kōī jaga mēṁ kāyama rahanē pāyā,
banāyā kisakō tūnē apanā, banāyā kisakō tūnē parāyā?
jō hāla hai tērā, hai hāla sabakā, phira kisa bāta kā rōnā āyā?
milā hai jō tujhē, milā hai sabakō, phira kisa bātakā rōnā āyā?
pātā rahā hai jaga mēṁ tū tō, kisa bāta kā gama tujhē āyā?
saba lē lē kē bhī saṁtōṣa na pāyā, dvāra duḥkha apanē hātha hī khōlā
jarūratēṁ kama jisanē rakhī, sukha kē najadīka vaha pahum̐ca pāyā।
English Explanation: |
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You came in this world alone, you will go from this world alone; you came with nothing, you will go taking nothing.
If you can understand then understand that no one is yours nor is anyone a stranger.
Only for few days you are going to stay, no one is going to be live forever in this world.
Whom you have made close to you, whom you have made a stranger?
What is your condition, it is the condition of everyone, then why you are crying.
Whatever you have received, it is received by everyone, then why you are crying.
You received always in this world, then for what reason you are in pain.
After receiving everything in life you are not satisfied, you yourself have opened the doors of suffering.
Whoever kept their needs limited, could reach the near to happiness.
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