Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 3373 | Date: 03-Sep-1991
दिये जा रहे हो प्रभु जीवन में क्यों इतना गम?
Diyē jā rahē hō prabhu jīvana mēṁ kyōṁ itanā gama?

પ્રાર્થના, ધ્યાન, અરજી, વિનંતી (Prayer, Meditation, Request)



Hymn No. 3373 | Date: 03-Sep-1991

दिये जा रहे हो प्रभु जीवन में क्यों इतना गम?

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diyē jā rahē hō prabhu jīvana mēṁ kyōṁ itanā gama?

પ્રાર્થના, ધ્યાન, અરજી, વિનંતી (Prayer, Meditation, Request)

1991-09-03 1991-09-03 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=14362 दिये जा रहे हो प्रभु जीवन में क्यों इतना गम? दिये जा रहे हो प्रभु जीवन में क्यों इतना गम?

क्या उठा सकेंगे उनको सारा जीवन हम?

रहे हैं उठाते जीवन भर तो हम, क्या लगा वह तुम्हें तो कम?

करते रहे है फरियाद, करो उसे तो कम हम तो हर दम

उठाते-उठाते जीवन भर तो उन्हें आ रहा है हमारे नाक में दम।

मिलते रहे हैं जीवन में हर कोने से गम,

उठाते आ रहे हैं जीवन में जीवन-भर, तो हम

क्या चाहते हो प्रभु तुम, रहे करते उसकी फरियाद हम?

कर कृपा अब तो प्रभु, दिखा दे राह हमें कर सके उन्हें कम।
https://www.youtube.com/watch?v=yp9ph0Jv7cA
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दिये जा रहे हो प्रभु जीवन में क्यों इतना गम?

क्या उठा सकेंगे उनको सारा जीवन हम?

रहे हैं उठाते जीवन भर तो हम, क्या लगा वह तुम्हें तो कम?

करते रहे है फरियाद, करो उसे तो कम हम तो हर दम

उठाते-उठाते जीवन भर तो उन्हें आ रहा है हमारे नाक में दम।

मिलते रहे हैं जीवन में हर कोने से गम,

उठाते आ रहे हैं जीवन में जीवन-भर, तो हम

क्या चाहते हो प्रभु तुम, रहे करते उसकी फरियाद हम?

कर कृपा अब तो प्रभु, दिखा दे राह हमें कर सके उन्हें कम।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

diyē jā rahē hō prabhu jīvana mēṁ kyōṁ itanā gama?

kyā uṭhā sakēṁgē unakō sārā jīvana hama?

rahē haiṁ uṭhātē jīvana bhara tō hama, kyā lagā vaha tumhēṁ tō kama?

karatē rahē hai phariyāda, karō usē tō kama hama tō hara dama

uṭhātē-uṭhātē jīvana bhara tō unhēṁ ā rahā hai hamārē nāka mēṁ dama।

milatē rahē haiṁ jīvana mēṁ hara kōnē sē gama,

uṭhātē ā rahē haiṁ jīvana mēṁ jīvana-bhara, tō hama

kyā cāhatē hō prabhu tuma, rahē karatē usakī phariyāda hama?

kara kr̥pā aba tō prabhu, dikhā dē rāha hamēṁ kara sakē unhēṁ kama।
English Explanation: Increase Font Decrease Font


Why are you giving so much grief in life, Oh God?

Will we be able to carry this load the entire life?

We have been lifting it the entire life, do you feel it is less?

We have been complaining all the time that you make it less.

By carrying it all the time in life, it is troubling us immense.

We have been getting grief from all corners in our life.

We have been carrying it in life for the entire life.

What do you wish for Oh God, should we keep on complaining about it?

Now shower your grace Oh God, show us the way how to make it less.
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Hindi Bhajan no. 3373 by Satguru Devendra Ghia - Kaka

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