Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 7021 | Date: 28-Sep-1997
रहना है जग में तुझे चार दिन बंदे, तू कहाँ-कहाँ फिरेगा?
Rahanā hai jaga mēṁ tujhē cāra dina baṁdē, tū kahām̐-kahām̐ phirēgā?

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

Hymn No. 7021 | Date: 28-Sep-1997

रहना है जग में तुझे चार दिन बंदे, तू कहाँ-कहाँ फिरेगा?

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rahanā hai jaga mēṁ tujhē cāra dina baṁdē, tū kahām̐-kahām̐ phirēgā?

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

1997-09-28 1997-09-28 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=15010 रहना है जग में तुझे चार दिन बंदे, तू कहाँ-कहाँ फिरेगा? रहना है जग में तुझे चार दिन बंदे, तू कहाँ-कहाँ फिरेगा?

व्यर्थ समय गँवाया जो बंदे, कहाँ से तू लायेगा, कहाँ से लायेगा?

सीमित शक्तिओं के साथ तू, असीमित को कहाँ कहाँ ढूँढ़ेगा?

जानता नही जब तू उनका ठिकाना, बंदे तू कहाँ कहाँ ढूँढ़ेगा?

प्रेम की गलियों में बंदे, तू प्रेम से साथ आवाज उन्हें देते तो रहना,

प्रेम की सुन के आवाज, मिले बिना वह तो ना रह सकेगा।

एक बार तेरी प्रेम की गली में वह आयेगा, गली में वह आता रहेगा

उठाना दिल से आवाज, भाव से बुलंद करके, आवाज उन्हें पहुँचेगां।

तेरी खुशी के लिये, वह है तो मरता, तेरे लिये वह सब कुछ करेगा।

सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा ना करना, दिल की आवाज पर चलते रहना।
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रहना है जग में तुझे चार दिन बंदे, तू कहाँ-कहाँ फिरेगा?

व्यर्थ समय गँवाया जो बंदे, कहाँ से तू लायेगा, कहाँ से लायेगा?

सीमित शक्तिओं के साथ तू, असीमित को कहाँ कहाँ ढूँढ़ेगा?

जानता नही जब तू उनका ठिकाना, बंदे तू कहाँ कहाँ ढूँढ़ेगा?

प्रेम की गलियों में बंदे, तू प्रेम से साथ आवाज उन्हें देते तो रहना,

प्रेम की सुन के आवाज, मिले बिना वह तो ना रह सकेगा।

एक बार तेरी प्रेम की गली में वह आयेगा, गली में वह आता रहेगा

उठाना दिल से आवाज, भाव से बुलंद करके, आवाज उन्हें पहुँचेगां।

तेरी खुशी के लिये, वह है तो मरता, तेरे लिये वह सब कुछ करेगा।

सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा ना करना, दिल की आवाज पर चलते रहना।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

rahanā hai jaga mēṁ tujhē cāra dina baṁdē, tū kahām̐-kahām̐ phirēgā?

vyartha samaya gam̐vāyā jō baṁdē, kahām̐ sē tū lāyēgā, kahām̐ sē lāyēgā?

sīmita śaktiōṁ kē sātha tū, asīmita kō kahām̐ kahām̐ ḍhūm̐ḍha़ēgā?

jānatā nahī jaba tū unakā ṭhikānā, baṁdē tū kahām̐ kahām̐ ḍhūm̐ḍha़ēgā?

prēma kī galiyōṁ mēṁ baṁdē, tū prēma sē sātha āvāja unhēṁ dētē tō rahanā,

prēma kī suna kē āvāja, milē binā vaha tō nā raha sakēgā।

ēka bāra tērī prēma kī galī mēṁ vaha āyēgā, galī mēṁ vaha ātā rahēgā

uṭhānā dila sē āvāja, bhāva sē bulaṁda karakē, āvāja unhēṁ pahum̐cēgāṁ।

tērī khuśī kē liyē, vaha hai tō maratā, tērē liyē vaha saba kucha karēgā।

sunī-sunāī bātōṁ para bharōsā nā karanā, dila kī āvāja para calatē rahanā।
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Hindi Bhajan no. 7021 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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