Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6796 | Date: 25-May-1997
रक्त का रंग ना मेरा तो बदला है, फिर मन मेरा क्यों बदला है?
Rakta kā raṁga nā mērā tō badalā hai, phira mana mērā kyōṁ badalā hai?

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 6796 | Date: 25-May-1997

रक्त का रंग ना मेरा तो बदला है, फिर मन मेरा क्यों बदला है?

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rakta kā raṁga nā mērā tō badalā hai, phira mana mērā kyōṁ badalā hai?

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1997-05-25 1997-05-25 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16783 रक्त का रंग ना मेरा तो बदला है, फिर मन मेरा क्यों बदला है? रक्त का रंग ना मेरा तो बदला है, फिर मन मेरा क्यों बदला है?

आज भी वह रक्त तन में दौड़ रहा है, फिर दिल पर काबू क्यों छूट गया है?

वही दिमाग, वही तन मेरे पास है, फिर निर्णय में कमी क्यों आती है?

वही सूरज, वही चाँद रोशनी दे रहा है, फिर जीवन में कमी क्यों लगती है?

संसार ने दिया नाम तो अपनाया है, नाम में दिलचस्पी क्यों बढ़ती है?

प्रभु को साथी बनाना था जीवन में, सुख दुःख को साथी क्यों बनाया है?

रोने-हँसने से माँ दौड़ी-द़ैडी आती थी, आज चिल्लाने पर भी दूर क्यों रहती है?

साथ रक्त ने तो दिया जीवन भर, फिर साथ तू क्यों नही दे रहा है?

रक्त तूने तो जीवन दिया है, दिल तूने तो जग में जीना सीखाया है

आज भी वही रक्त दौड़ रहा है, तन और दिल उससे भरा भरा है।
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रक्त का रंग ना मेरा तो बदला है, फिर मन मेरा क्यों बदला है?

आज भी वह रक्त तन में दौड़ रहा है, फिर दिल पर काबू क्यों छूट गया है?

वही दिमाग, वही तन मेरे पास है, फिर निर्णय में कमी क्यों आती है?

वही सूरज, वही चाँद रोशनी दे रहा है, फिर जीवन में कमी क्यों लगती है?

संसार ने दिया नाम तो अपनाया है, नाम में दिलचस्पी क्यों बढ़ती है?

प्रभु को साथी बनाना था जीवन में, सुख दुःख को साथी क्यों बनाया है?

रोने-हँसने से माँ दौड़ी-द़ैडी आती थी, आज चिल्लाने पर भी दूर क्यों रहती है?

साथ रक्त ने तो दिया जीवन भर, फिर साथ तू क्यों नही दे रहा है?

रक्त तूने तो जीवन दिया है, दिल तूने तो जग में जीना सीखाया है

आज भी वही रक्त दौड़ रहा है, तन और दिल उससे भरा भरा है।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

rakta kā raṁga nā mērā tō badalā hai, phira mana mērā kyōṁ badalā hai?

āja bhī vaha rakta tana mēṁ dauḍa़ rahā hai, phira dila para kābū kyōṁ chūṭa gayā hai?

vahī dimāga, vahī tana mērē pāsa hai, phira nirṇaya mēṁ kamī kyōṁ ātī hai?

vahī sūraja, vahī cām̐da rōśanī dē rahā hai, phira jīvana mēṁ kamī kyōṁ lagatī hai?

saṁsāra nē diyā nāma tō apanāyā hai, nāma mēṁ dilacaspī kyōṁ baḍha़tī hai?

prabhu kō sāthī banānā thā jīvana mēṁ, sukha duḥkha kō sāthī kyōṁ banāyā hai?

rōnē-ham̐sanē sē mām̐ dauḍa़ī-da़aiḍī ātī thī, āja cillānē para bhī dūra kyōṁ rahatī hai?

sātha rakta nē tō diyā jīvana bhara, phira sātha tū kyōṁ nahī dē rahā hai?

rakta tūnē tō jīvana diyā hai, dila tūnē tō jaga mēṁ jīnā sīkhāyā hai

āja bhī vahī rakta dauḍa़ rahā hai, tana aura dila usasē bharā bharā hai।
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Hindi Bhajan no. 6796 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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