Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6864 | Date: 08-Jul-1997
बोलो आप मेरे कौन हो, आप मेरे कौन हो?
Bōlō āpa mērē kauna hō, āpa mērē kauna hō?

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

Hymn No. 6864 | Date: 08-Jul-1997

बोलो आप मेरे कौन हो, आप मेरे कौन हो?

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bōlō āpa mērē kauna hō, āpa mērē kauna hō?

પ્રેમ, ભક્તિ, શિસ્ત, શાંતિ (Love, Worship, Discipline, Peace)

1997-07-08 1997-07-08 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16851 बोलो आप मेरे कौन हो, आप मेरे कौन हो? बोलो आप मेरे कौन हो, आप मेरे कौन हो?

मोहब्बत की राह में, आप मेरे तो चिराग हो।

तन बदन में तो आप मेरे, जुड़ा हुआ तो श्वास हो,

जहाँ जाऊँ तो है अँधेरा, आप मेरे तो प्रकाश हो।

निराशाओं में तो डूबा हुआ हूँ, आप मेरे आशा के दीप हो।

यदि मैं एक गिनती हूँ, आप मेरे तो अंदाज हो।

यदि मैं एक रहवासी हूँ, आप मेरे तो स्थान हो,

यदि मैं एक नज़र हूँ, आप मेरे तो दृश्य हो।

यदि मैं एक प्रवासी हूँ, आप मेरी तो मंजिल हो,

आप मेरे सर्वस्व हो, मैं तो आप के चरणों की धूल हूँ।
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बोलो आप मेरे कौन हो, आप मेरे कौन हो?

मोहब्बत की राह में, आप मेरे तो चिराग हो।

तन बदन में तो आप मेरे, जुड़ा हुआ तो श्वास हो,

जहाँ जाऊँ तो है अँधेरा, आप मेरे तो प्रकाश हो।

निराशाओं में तो डूबा हुआ हूँ, आप मेरे आशा के दीप हो।

यदि मैं एक गिनती हूँ, आप मेरे तो अंदाज हो।

यदि मैं एक रहवासी हूँ, आप मेरे तो स्थान हो,

यदि मैं एक नज़र हूँ, आप मेरे तो दृश्य हो।

यदि मैं एक प्रवासी हूँ, आप मेरी तो मंजिल हो,

आप मेरे सर्वस्व हो, मैं तो आप के चरणों की धूल हूँ।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

bōlō āpa mērē kauna hō, āpa mērē kauna hō?

mōhabbata kī rāha mēṁ, āpa mērē tō cirāga hō।

tana badana mēṁ tō āpa mērē, juḍa़ā huā tō śvāsa hō,

jahām̐ jāūm̐ tō hai am̐dhērā, āpa mērē tō prakāśa hō।

nirāśāōṁ mēṁ tō ḍūbā huā hūm̐, āpa mērē āśā kē dīpa hō।

yadi maiṁ ēka ginatī hūm̐, āpa mērē tō aṁdāja hō।

yadi maiṁ ēka rahavāsī hūm̐, āpa mērē tō sthāna hō,

yadi maiṁ ēka naja़ra hūm̐, āpa mērē tō dr̥śya hō।

yadi maiṁ ēka pravāsī hūm̐, āpa mērī tō maṁjila hō,

āpa mērē sarvasva hō, maiṁ tō āpa kē caraṇōṁ kī dhūla hūm̐।
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Hindi Bhajan no. 6864 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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