Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6911 | Date: 01-Aug-1997
जीवन में तो, आधा तो तरंग है, ना कोई उमंग है
Jīvana mēṁ tō, ādhā tō taraṁga hai, nā kōī umaṁga hai

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 6911 | Date: 01-Aug-1997

जीवन में तो, आधा तो तरंग है, ना कोई उमंग है

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jīvana mēṁ tō, ādhā tō taraṁga hai, nā kōī umaṁga hai

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1997-08-01 1997-08-01 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16898 जीवन में तो, आधा तो तरंग है, ना कोई उमंग है जीवन में तो, आधा तो तरंग है, ना कोई उमंग है,

आज के तो जीवन का, जग में तो यही तो रंग है।

सच्चाई का भूल के तो रास्ता, कुछ दावे में है फँसे, यही तो ढंग है,

प्रगति की ना सच्ची, जग तो यह प्रवृत्ति में मंद है।

जीवन में तो आगे बढ़ना, यही तो सबका जंग है

पाये जीवन में मन पर थोड़ा काबू, जीवन का यही बड़ा प्रसंग है।

जानना तो है जीवन में, मुसीबतों में कौन किस के संग है,

घटना पर घटना, रहती है घटती, मानवी इस में तो दंग है।

चाहता है प्रभु का संग जीवन में, इस में ही वह निसंग है,

अद्भुत है मानव, अद्भुत है इसका जीवन, अद्भुत इसका रंग है।
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जीवन में तो, आधा तो तरंग है, ना कोई उमंग है,

आज के तो जीवन का, जग में तो यही तो रंग है।

सच्चाई का भूल के तो रास्ता, कुछ दावे में है फँसे, यही तो ढंग है,

प्रगति की ना सच्ची, जग तो यह प्रवृत्ति में मंद है।

जीवन में तो आगे बढ़ना, यही तो सबका जंग है

पाये जीवन में मन पर थोड़ा काबू, जीवन का यही बड़ा प्रसंग है।

जानना तो है जीवन में, मुसीबतों में कौन किस के संग है,

घटना पर घटना, रहती है घटती, मानवी इस में तो दंग है।

चाहता है प्रभु का संग जीवन में, इस में ही वह निसंग है,

अद्भुत है मानव, अद्भुत है इसका जीवन, अद्भुत इसका रंग है।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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jīvana mēṁ tō, ādhā tō taraṁga hai, nā kōī umaṁga hai,

āja kē tō jīvana kā, jaga mēṁ tō yahī tō raṁga hai।

saccāī kā bhūla kē tō rāstā, kucha dāvē mēṁ hai pham̐sē, yahī tō ḍhaṁga hai,

pragati kī nā saccī, jaga tō yaha pravr̥tti mēṁ maṁda hai।

jīvana mēṁ tō āgē baḍha़nā, yahī tō sabakā jaṁga hai

pāyē jīvana mēṁ mana para thōḍa़ā kābū, jīvana kā yahī baḍa़ā prasaṁga hai।

jānanā tō hai jīvana mēṁ, musībatōṁ mēṁ kauna kisa kē saṁga hai,

ghaṭanā para ghaṭanā, rahatī hai ghaṭatī, mānavī isa mēṁ tō daṁga hai।

cāhatā hai prabhu kā saṁga jīvana mēṁ, isa mēṁ hī vaha nisaṁga hai,

adbhuta hai mānava, adbhuta hai isakā jīvana, adbhuta isakā raṁga hai।
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Hindi Bhajan no. 6911 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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