Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6918 | Date: 05-Aug-1997
कौन जाने दिल में क्या हो जाता है, दिल में क्या हो जाता है
Kauna jānē dila mēṁ kyā hō jātā hai, dila mēṁ kyā hō jātā hai

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

Hymn No. 6918 | Date: 05-Aug-1997

कौन जाने दिल में क्या हो जाता है, दिल में क्या हो जाता है

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kauna jānē dila mēṁ kyā hō jātā hai, dila mēṁ kyā hō jātā hai

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

1997-08-05 1997-08-05 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16905 कौन जाने दिल में क्या हो जाता है, दिल में क्या हो जाता है कौन जाने दिल में क्या हो जाता है, दिल में क्या हो जाता है

जग में दिल को खोजने निकला, दिल दिल में खो जाता है।

ढूँढ़ते ढूँढ़ते मैं जहाँ-जहाँ फिरा, ना पता मुझे दिल का मिला

दिल पसंद करने को निकला हूँ, दिल ने पसंद मुझे कर लिया है।

फेरूँ नज़र जग में जहाँ जहाँ भी, आखिर दिल में ही रुक जाता हूँ

जग में ना कोई किसी का रहा, दिल भी मेरा, मेरा ना रहा है

जहाँ भी जाऊँ, दिल दिल को ढूँढ़ता है, दिल-दिल में खो जाता है

दिल की बात दिल ने ना सुनी, बात दिल में ही रह जाती है।

कहना चाहूँ जिस दिल को, वह दिल ना ढूँढ़ सका हूँ

सोचते सोचते, ना जाने दिल में क्या हो जाता है, दिल दिल में खो जाता है।
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कौन जाने दिल में क्या हो जाता है, दिल में क्या हो जाता है

जग में दिल को खोजने निकला, दिल दिल में खो जाता है।

ढूँढ़ते ढूँढ़ते मैं जहाँ-जहाँ फिरा, ना पता मुझे दिल का मिला

दिल पसंद करने को निकला हूँ, दिल ने पसंद मुझे कर लिया है।

फेरूँ नज़र जग में जहाँ जहाँ भी, आखिर दिल में ही रुक जाता हूँ

जग में ना कोई किसी का रहा, दिल भी मेरा, मेरा ना रहा है

जहाँ भी जाऊँ, दिल दिल को ढूँढ़ता है, दिल-दिल में खो जाता है

दिल की बात दिल ने ना सुनी, बात दिल में ही रह जाती है।

कहना चाहूँ जिस दिल को, वह दिल ना ढूँढ़ सका हूँ

सोचते सोचते, ना जाने दिल में क्या हो जाता है, दिल दिल में खो जाता है।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

kauna jānē dila mēṁ kyā hō jātā hai, dila mēṁ kyā hō jātā hai

jaga mēṁ dila kō khōjanē nikalā, dila dila mēṁ khō jātā hai।

ḍhūm̐ḍha़tē ḍhūm̐ḍha़tē maiṁ jahām̐-jahām̐ phirā, nā patā mujhē dila kā milā

dila pasaṁda karanē kō nikalā hūm̐, dila nē pasaṁda mujhē kara liyā hai।

phērūm̐ naja़ra jaga mēṁ jahām̐ jahām̐ bhī, ākhira dila mēṁ hī ruka jātā hūm̐

jaga mēṁ nā kōī kisī kā rahā, dila bhī mērā, mērā nā rahā hai

jahām̐ bhī jāūm̐, dila dila kō ḍhūm̐ḍha़tā hai, dila-dila mēṁ khō jātā hai

dila kī bāta dila nē nā sunī, bāta dila mēṁ hī raha jātī hai।

kahanā cāhūm̐ jisa dila kō, vaha dila nā ḍhūm̐ḍha़ sakā hūm̐

sōcatē sōcatē, nā jānē dila mēṁ kyā hō jātā hai, dila dila mēṁ khō jātā hai।
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Hindi Bhajan no. 6918 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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