Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6931 | Date: 12-Aug-1997
सुख शैया पर आदमी है सोया, फिर भी तो है, वह खोया-खोया
Sukha śaiyā para ādamī hai sōyā, phira bhī tō hai, vaha khōyā-khōyā

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 6931 | Date: 12-Aug-1997

सुख शैया पर आदमी है सोया, फिर भी तो है, वह खोया-खोया

  No Audio

sukha śaiyā para ādamī hai sōyā, phira bhī tō hai, vaha khōyā-khōyā

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1997-08-12 1997-08-12 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16918 सुख शैया पर आदमी है सोया, फिर भी तो है, वह खोया-खोया सुख शैया पर आदमी है सोया, फिर भी तो है, वह खोया-खोया,

ना जानता है, जीवन में इन्होंने तो क्या खोया, क्या पाया।

हर पल जीवन में, उम्मीदें को कुचलकर, जीवन में है क्या पाया

जीता है इस तरह जीवन को दुःख दर्द का तमाशा है बनाया।

सच्चाई से दूर है वह रहता, फिर भी सच्चाई की कसम है खाता

आज का इन्सान, कम इन्सान रहा, दानव बन गया है ज्यादा।

काम की बात कम है वह करता, फिज़ूल बात करता है ज्यादा।

जीता है इस तरह वह, ना डर है खुद का, ना डर है खुदा का,

खो जाता है वह सुनहरे ख्वाबों में, छोड़ के जग का सब नाता

बचाना चाहे अगर खुदा, ऐसे इन्सान को नही बचा सकता।
View Original Increase Font Decrease Font


सुख शैया पर आदमी है सोया, फिर भी तो है, वह खोया-खोया,

ना जानता है, जीवन में इन्होंने तो क्या खोया, क्या पाया।

हर पल जीवन में, उम्मीदें को कुचलकर, जीवन में है क्या पाया

जीता है इस तरह जीवन को दुःख दर्द का तमाशा है बनाया।

सच्चाई से दूर है वह रहता, फिर भी सच्चाई की कसम है खाता

आज का इन्सान, कम इन्सान रहा, दानव बन गया है ज्यादा।

काम की बात कम है वह करता, फिज़ूल बात करता है ज्यादा।

जीता है इस तरह वह, ना डर है खुद का, ना डर है खुदा का,

खो जाता है वह सुनहरे ख्वाबों में, छोड़ के जग का सब नाता

बचाना चाहे अगर खुदा, ऐसे इन्सान को नही बचा सकता।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

sukha śaiyā para ādamī hai sōyā, phira bhī tō hai, vaha khōyā-khōyā,

nā jānatā hai, jīvana mēṁ inhōṁnē tō kyā khōyā, kyā pāyā।

hara pala jīvana mēṁ, ummīdēṁ kō kucalakara, jīvana mēṁ hai kyā pāyā

jītā hai isa taraha jīvana kō duḥkha darda kā tamāśā hai banāyā।

saccāī sē dūra hai vaha rahatā, phira bhī saccāī kī kasama hai khātā

āja kā insāna, kama insāna rahā, dānava bana gayā hai jyādā।

kāma kī bāta kama hai vaha karatā, phija़ūla bāta karatā hai jyādā।

jītā hai isa taraha vaha, nā ḍara hai khuda kā, nā ḍara hai khudā kā,

khō jātā hai vaha sunaharē khvābōṁ mēṁ, chōḍa़ kē jaga kā saba nātā

bacānā cāhē agara khudā, aisē insāna kō nahī bacā sakatā।
Scan Image

Hindi Bhajan no. 6931 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
First...692869296930...Last