Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6939 | Date: 14-Aug-1997
उतार रहा हूँ मैं नकाब मेरा, प्रभु सलाम मेरा कबूल करना
Utāra rahā hūm̐ maiṁ nakāba mērā, prabhu salāma mērā kabūla karanā

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

Hymn No. 6939 | Date: 14-Aug-1997

उतार रहा हूँ मैं नकाब मेरा, प्रभु सलाम मेरा कबूल करना

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utāra rahā hūm̐ maiṁ nakāba mērā, prabhu salāma mērā kabūla karanā

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

1997-08-14 1997-08-14 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16926 उतार रहा हूँ मैं नकाब मेरा, प्रभु सलाम मेरा कबूल करना उतार रहा हूँ मैं नकाब मेरा, प्रभु सलाम मेरा कबूल करना

इस जहाँ में है जहाँ सब कुछ तेरा, तेरे-मेरे में मुझे ना डुबो देना

सारा जहाँ है खेल का मैदान तेरा, तेरी निगरानी में मुझे खेलने देना

जहाँ भी जाऊँ, पाऊँ मैं तुझे इस हाल में मुझे रहने देना

दिल में उमंग है भरा, कह ना सकूँ पूरा, सब कुछ तू समझना

तेरे प्रेम ने मुझे दीवाना बनाया, हूँ तो मैं तेरे प्रेम का दीवाना।

है हम तो प्यार के परवाने, समझना हमें तेरे प्यार का परवाना,

बतलाते हैं हम हमारे दिल की बात, तू अपनी बात हमें बतलाना।

रखा है तेरे जहाँ में हमने तो पैर, अब हमें तू ही सँभालना

तेरे इस जग में तू ही तो है मेरा, कह सकता हूँ तुझे तो अपना।
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उतार रहा हूँ मैं नकाब मेरा, प्रभु सलाम मेरा कबूल करना

इस जहाँ में है जहाँ सब कुछ तेरा, तेरे-मेरे में मुझे ना डुबो देना

सारा जहाँ है खेल का मैदान तेरा, तेरी निगरानी में मुझे खेलने देना

जहाँ भी जाऊँ, पाऊँ मैं तुझे इस हाल में मुझे रहने देना

दिल में उमंग है भरा, कह ना सकूँ पूरा, सब कुछ तू समझना

तेरे प्रेम ने मुझे दीवाना बनाया, हूँ तो मैं तेरे प्रेम का दीवाना।

है हम तो प्यार के परवाने, समझना हमें तेरे प्यार का परवाना,

बतलाते हैं हम हमारे दिल की बात, तू अपनी बात हमें बतलाना।

रखा है तेरे जहाँ में हमने तो पैर, अब हमें तू ही सँभालना

तेरे इस जग में तू ही तो है मेरा, कह सकता हूँ तुझे तो अपना।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

utāra rahā hūm̐ maiṁ nakāba mērā, prabhu salāma mērā kabūla karanā

isa jahām̐ mēṁ hai jahām̐ saba kucha tērā, tērē-mērē mēṁ mujhē nā ḍubō dēnā

sārā jahām̐ hai khēla kā maidāna tērā, tērī nigarānī mēṁ mujhē khēlanē dēnā

jahām̐ bhī jāūm̐, pāūm̐ maiṁ tujhē isa hāla mēṁ mujhē rahanē dēnā

dila mēṁ umaṁga hai bharā, kaha nā sakūm̐ pūrā, saba kucha tū samajhanā

tērē prēma nē mujhē dīvānā banāyā, hūm̐ tō maiṁ tērē prēma kā dīvānā।

hai hama tō pyāra kē paravānē, samajhanā hamēṁ tērē pyāra kā paravānā,

batalātē haiṁ hama hamārē dila kī bāta, tū apanī bāta hamēṁ batalānā।

rakhā hai tērē jahām̐ mēṁ hamanē tō paira, aba hamēṁ tū hī sam̐bhālanā

tērē isa jaga mēṁ tū hī tō hai mērā, kaha sakatā hūm̐ tujhē tō apanā।
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Hindi Bhajan no. 6939 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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