Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6967 | Date: 06-Sep-1997
अनजान राह से आया है, अनजान राह से जाओगे
Anajāna rāha sē āyā hai, anajāna rāha sē jāōgē

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 6967 | Date: 06-Sep-1997

अनजान राह से आया है, अनजान राह से जाओगे

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anajāna rāha sē āyā hai, anajāna rāha sē jāōgē

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1997-09-06 1997-09-06 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16954 अनजान राह से आया है, अनजान राह से जाओगे अनजान राह से आया है, अनजान राह से जाओगे,

ना है वहाँ कोई पहचान, किस से मिलने जा रहे हो।

ना थी कोई जानकारी पूरी, जानकारी लिये बिना जा रहे हो,

लाया ना था कुछ साथ में, ना साथ कुछ लिये जा रहे हो।

अनजानों को अपना बना के, अपनों को छोड़ के जा रहे हो,

जीवन का जाम भर के आया था, जग में मृत्यु फेरा सौंप के जा रहे हो।

तारीफ ना काम आयेगी, तेरा ही किया, मार्ग तेरा रोशन करेंगे,

भरा-भरा तो पास में दिल था, वह भी तो छोड़ के जा रहे हो।

मिलेंगे वहाँ कौन और कौन, ना है इसका पता फिर भी जा रहे हो,

अकेले राह से तो आया, अनजानी राह से, अकेले जा रहे हो।
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अनजान राह से आया है, अनजान राह से जाओगे,

ना है वहाँ कोई पहचान, किस से मिलने जा रहे हो।

ना थी कोई जानकारी पूरी, जानकारी लिये बिना जा रहे हो,

लाया ना था कुछ साथ में, ना साथ कुछ लिये जा रहे हो।

अनजानों को अपना बना के, अपनों को छोड़ के जा रहे हो,

जीवन का जाम भर के आया था, जग में मृत्यु फेरा सौंप के जा रहे हो।

तारीफ ना काम आयेगी, तेरा ही किया, मार्ग तेरा रोशन करेंगे,

भरा-भरा तो पास में दिल था, वह भी तो छोड़ के जा रहे हो।

मिलेंगे वहाँ कौन और कौन, ना है इसका पता फिर भी जा रहे हो,

अकेले राह से तो आया, अनजानी राह से, अकेले जा रहे हो।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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anajāna rāha sē āyā hai, anajāna rāha sē jāōgē,

nā hai vahām̐ kōī pahacāna, kisa sē milanē jā rahē hō।

nā thī kōī jānakārī pūrī, jānakārī liyē binā jā rahē hō,

lāyā nā thā kucha sātha mēṁ, nā sātha kucha liyē jā rahē hō।

anajānōṁ kō apanā banā kē, apanōṁ kō chōḍa़ kē jā rahē hō,

jīvana kā jāma bhara kē āyā thā, jaga mēṁ mr̥tyu phērā sauṁpa kē jā rahē hō।

tārīpha nā kāma āyēgī, tērā hī kiyā, mārga tērā rōśana karēṁgē,

bharā-bharā tō pāsa mēṁ dila thā, vaha bhī tō chōḍa़ kē jā rahē hō।

milēṁgē vahām̐ kauna aura kauna, nā hai isakā patā phira bhī jā rahē hō,

akēlē rāha sē tō āyā, anajānī rāha sē, akēlē jā rahē hō।
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Hindi Bhajan no. 6967 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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