Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 9208
दिल चाहता है तुझे पुछने को प्रभु ऐसा क्यों ऐसा क्यों?
Dila cāhatā hai tujhē puchanē kō prabhu aisā kyōṁ aisā kyōṁ?
Hymn No. 9208

दिल चाहता है तुझे पुछने को प्रभु ऐसा क्यों ऐसा क्यों?

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dila cāhatā hai tujhē puchanē kō prabhu aisā kyōṁ aisā kyōṁ?

1900-01-01 1900-01-01 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=18695 दिल चाहता है तुझे पुछने को प्रभु ऐसा क्यों ऐसा क्यों? दिल चाहता है तुझे पुछने को प्रभु ऐसा क्यों ऐसा क्यों?

हर जगह पर रहता है तू हमारी नज़रों में आता नही क्यों?

शास्त्रों ने कुछ भी कहा, अरे कह गये विद्वान भी हम चाहे सुनना तुझसे ...

ना समझे अब तक समझना चाहते हैं हुआ हमसे कसूर क्या?

जब नज़र में नही आता है तू, आँखो के सामने स्वरूप तेरा सजाते है

हम कोशिश कर रहे है, भावों से तुझे बुलाने की, मगर कमी हमारी आकर बता

भाव में हो कमी तो भावों में हमारे ऐतबार तू भर दे

जवाबों की आस लेकर बैठे हैं आपके सामने, तोड़ना ना आस दिल की हमारी

आने-जाने का खेल अभी तू छोड़ दे, तू ना छोड़ना चाहे तो बता दे ऐसा क्यों?

सवालों से भरे जीवन में हमारे ना बढ़ा और सवाल तू
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दिल चाहता है तुझे पुछने को प्रभु ऐसा क्यों ऐसा क्यों?

हर जगह पर रहता है तू हमारी नज़रों में आता नही क्यों?

शास्त्रों ने कुछ भी कहा, अरे कह गये विद्वान भी हम चाहे सुनना तुझसे ...

ना समझे अब तक समझना चाहते हैं हुआ हमसे कसूर क्या?

जब नज़र में नही आता है तू, आँखो के सामने स्वरूप तेरा सजाते है

हम कोशिश कर रहे है, भावों से तुझे बुलाने की, मगर कमी हमारी आकर बता

भाव में हो कमी तो भावों में हमारे ऐतबार तू भर दे

जवाबों की आस लेकर बैठे हैं आपके सामने, तोड़ना ना आस दिल की हमारी

आने-जाने का खेल अभी तू छोड़ दे, तू ना छोड़ना चाहे तो बता दे ऐसा क्यों?

सवालों से भरे जीवन में हमारे ना बढ़ा और सवाल तू




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

dila cāhatā hai tujhē puchanē kō prabhu aisā kyōṁ aisā kyōṁ?

hara jagaha para rahatā hai tū hamārī naja़rōṁ mēṁ ātā nahī kyōṁ?

śāstrōṁ nē kucha bhī kahā, arē kaha gayē vidvāna bhī hama cāhē sunanā tujhasē ...

nā samajhē aba taka samajhanā cāhatē haiṁ huā hamasē kasūra kyā?

jaba naja़ra mēṁ nahī ātā hai tū, ām̐khō kē sāmanē svarūpa tērā sajātē hai

hama kōśiśa kara rahē hai, bhāvōṁ sē tujhē bulānē kī, magara kamī hamārī ākara batā

bhāva mēṁ hō kamī tō bhāvōṁ mēṁ hamārē aitabāra tū bhara dē

javābōṁ kī āsa lēkara baiṭhē haiṁ āpakē sāmanē, tōḍa़nā nā āsa dila kī hamārī

ānē-jānē kā khēla abhī tū chōḍa़ dē, tū nā chōḍa़nā cāhē tō batā dē aisā kyōṁ?

savālōṁ sē bharē jīvana mēṁ hamārē nā baḍha़ā aura savāla tū
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Hindi Bhajan no. 9208 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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