|
View Original |
|
दिल चाहता है तुझे पुछने को प्रभु ऐसा क्यों ऐसा क्यों?
हर जगह पर रहता है तू हमारी नज़रों में आता नही क्यों?
शास्त्रों ने कुछ भी कहा, अरे कह गये विद्वान भी हम चाहे सुनना तुझसे ...
ना समझे अब तक समझना चाहते हैं हुआ हमसे कसूर क्या?
जब नज़र में नही आता है तू, आँखो के सामने स्वरूप तेरा सजाते है
हम कोशिश कर रहे है, भावों से तुझे बुलाने की, मगर कमी हमारी आकर बता
भाव में हो कमी तो भावों में हमारे ऐतबार तू भर दे
जवाबों की आस लेकर बैठे हैं आपके सामने, तोड़ना ना आस दिल की हमारी
आने-जाने का खेल अभी तू छोड़ दे, तू ना छोड़ना चाहे तो बता दे ऐसा क्यों?
सवालों से भरे जीवन में हमारे ना बढ़ा और सवाल तू
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)