Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 9625 | Date: 06-Nov-2000
निगाह को आज तेरी क्या हुआ है? क्यों हुआ है क्यों बदल गई हैं?
Nigāha kō āja tērī kyā huā hai? kyōṁ huā hai kyōṁ badala gaī haiṁ?

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

Hymn No. 9625 | Date: 06-Nov-2000

निगाह को आज तेरी क्या हुआ है? क्यों हुआ है क्यों बदल गई हैं?

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nigāha kō āja tērī kyā huā hai? kyōṁ huā hai kyōṁ badala gaī haiṁ?

મન, દિલ, ભાવ, વિચાર, યાદ (Mind, Heart, Feelings, Thoughts, Remembrance)

2000-11-06 2000-11-06 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=19112 निगाह को आज तेरी क्या हुआ है? क्यों हुआ है क्यों बदल गई हैं? निगाह को आज तेरी क्या हुआ है? क्यों हुआ है क्यों बदल गई हैं?

निगाह तो आज तेरी, कुछ छुपा रही हैं, कुछ और कर रही हैं।

दे दे आज एक निगाह ऐसी, तसल्ली मिल जाय दिल को, तू मेरी है, तू मेरी है,

ओ निगाह के चाहने वाले, सुन ले बात मेरी, जो दी थी वह तो निगाह थी मेरी,

निगाह तो ऐसी एकबार तो है दी जाती, वह तो तुझे मैंने तो दे दी,

संजोग बदलते रहते हैं, निगाह बदलती है ना बदलती निगाह तो तुझे दे दी।

ना मिला संतोष, ना बदलती निगाह से तेरी माँग में कर दे तू ही बदली

चाहिए निगाह तुझे मेरी, ऐसी दे दी सब इच्छाएँ तेरी चरणो में मेरे।
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निगाह को आज तेरी क्या हुआ है? क्यों हुआ है क्यों बदल गई हैं?

निगाह तो आज तेरी, कुछ छुपा रही हैं, कुछ और कर रही हैं।

दे दे आज एक निगाह ऐसी, तसल्ली मिल जाय दिल को, तू मेरी है, तू मेरी है,

ओ निगाह के चाहने वाले, सुन ले बात मेरी, जो दी थी वह तो निगाह थी मेरी,

निगाह तो ऐसी एकबार तो है दी जाती, वह तो तुझे मैंने तो दे दी,

संजोग बदलते रहते हैं, निगाह बदलती है ना बदलती निगाह तो तुझे दे दी।

ना मिला संतोष, ना बदलती निगाह से तेरी माँग में कर दे तू ही बदली

चाहिए निगाह तुझे मेरी, ऐसी दे दी सब इच्छाएँ तेरी चरणो में मेरे।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

nigāha kō āja tērī kyā huā hai? kyōṁ huā hai kyōṁ badala gaī haiṁ?

nigāha tō āja tērī, kucha chupā rahī haiṁ, kucha aura kara rahī haiṁ।

dē dē āja ēka nigāha aisī, tasallī mila jāya dila kō, tū mērī hai, tū mērī hai,

ō nigāha kē cāhanē vālē, suna lē bāta mērī, jō dī thī vaha tō nigāha thī mērī,

nigāha tō aisī ēkabāra tō hai dī jātī, vaha tō tujhē maiṁnē tō dē dī,

saṁjōga badalatē rahatē haiṁ, nigāha badalatī hai nā badalatī nigāha tō tujhē dē dī।

nā milā saṁtōṣa, nā badalatī nigāha sē tērī mām̐ga mēṁ kara dē tū hī badalī

cāhiē nigāha tujhē mērī, aisī dē dī saba icchāēm̐ tērī caraṇō mēṁ mērē।
English Explanation Increase Font Decrease Font


Kakaji is talking about his feelings, which he feels for the Divine Mother. He is demanding for Divine Mother's attention.

Kakaji tells the Divine Mother

What has happened to your eyes today, why has it changed.

Your eyes today are hiding something and is doing something else.

Give me a look today as such, that it satisfies me as you are mine, as you are mine.

O'thee lover of glance listen to me, the one which was given was my gaze.

Such a glance is given only once, and that I have already given to you.

Coincidences keep on changing, whether the eyes change or do not change the gaze is given to you.

Did not receive satisfaction, if it would not have exchanged

If you want my gaze, then let me put all my desires at your feet.
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Hindi Bhajan no. 9625 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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