Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6233 | Date: 20-Apr-1996
क्या से क्या हो गया, कैसे हो गया, पता ना चला
Kyā sē kyā hō gayā, kaisē hō gayā, patā nā calā

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 6233 | Date: 20-Apr-1996

क्या से क्या हो गया, कैसे हो गया, पता ना चला

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kyā sē kyā hō gayā, kaisē hō gayā, patā nā calā

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1996-04-20 1996-04-20 https://www.kakabhajans.org/bhajan/default.aspx?id=12222 क्या से क्या हो गया, कैसे हो गया, पता ना चला क्या से क्या हो गया, कैसे हो गया, पता ना चला,

अनजाने में जो हुआ, अच्छा हुआ, या बुरा हुआ, पता ना चला।

जिस बात का अंदाजा न था, वही तो हुआ, फिर भी पता ना चला

था अंदाज उसका तो नया, अंदाजा ना उनका मिला, पता ना चला।

जीवन की चलती हुई गाड़ी, क्यों रुकी, कैसे रुकी, पता ना चला

बार-बार भी सोचने पर भी, ना अंदाजा उसका मिला, पता ना चला।

पता ना चला, पता ना चला, हमें उसका, पता ना चला, पता ना चला

विरोध भावों का दिल आवास बना, कैसे बना, क्यों बना, पता ना चला।

दिल का दर्द कैसे बढ़ा, क्यों बढ़ा, कैसे वह रुका, पता ना चला

दिल प्रभुका दीवाना क्यों बना, कैसे बना, उसका पता ना चला।
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क्या से क्या हो गया, कैसे हो गया, पता ना चला,

अनजाने में जो हुआ, अच्छा हुआ, या बुरा हुआ, पता ना चला।

जिस बात का अंदाजा न था, वही तो हुआ, फिर भी पता ना चला

था अंदाज उसका तो नया, अंदाजा ना उनका मिला, पता ना चला।

जीवन की चलती हुई गाड़ी, क्यों रुकी, कैसे रुकी, पता ना चला

बार-बार भी सोचने पर भी, ना अंदाजा उसका मिला, पता ना चला।

पता ना चला, पता ना चला, हमें उसका, पता ना चला, पता ना चला

विरोध भावों का दिल आवास बना, कैसे बना, क्यों बना, पता ना चला।

दिल का दर्द कैसे बढ़ा, क्यों बढ़ा, कैसे वह रुका, पता ना चला

दिल प्रभुका दीवाना क्यों बना, कैसे बना, उसका पता ना चला।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
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kyā sē kyā hō gayā, kaisē hō gayā, patā nā calā,

anajānē mēṁ jō huā, acchā huā, yā burā huā, patā nā calā।

jisa bāta kā aṁdājā na thā, vahī tō huā, phira bhī patā nā calā

thā aṁdāja usakā tō nayā, aṁdājā nā unakā milā, patā nā calā।

jīvana kī calatī huī gāḍa़ī, kyōṁ rukī, kaisē rukī, patā nā calā

bāra-bāra bhī sōcanē para bhī, nā aṁdājā usakā milā, patā nā calā।

patā nā calā, patā nā calā, hamēṁ usakā, patā nā calā, patā nā calā

virōdha bhāvōṁ kā dila āvāsa banā, kaisē banā, kyōṁ banā, patā nā calā।

dila kā darda kaisē baḍha़ā, kyōṁ baḍha़ā, kaisē vaha rukā, patā nā calā

dila prabhukā dīvānā kyōṁ banā, kaisē banā, usakā patā nā calā।
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Hindi Bhajan no. 6233 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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