1996-01-14
1996-01-14
1996-01-14
https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=12102
क्यों जगाता है बड़ी-बड़ी तमन्नाएँ तेरे दिल में
क्यों जगाता है बड़ी-बड़ी तमन्नाएँ तेरे दिल में,
जब तेरा दिल, तेरा मन, तेरे वश में नही।
खाया है धोखा हर बार तूने, इस बात में तो जग में,
फिर भी क्यों तमन्नाएं बढ़ाए जा रहा है दिल में।
मिला नहीं यह जीवन तुझे, मुफ्त में जग में,
अदा की है, कर्मों की कीमत, आने से पहले तो जग में।
जब धोखे के लिये तैयार नही है, फिर तमन्नाएँ क्यों बढ़ाता है,
जो था तेरे हाथ में, क्यों सौंप दिया उसे तूने मन और दिल को,
सौंपकर दिल को और मन को, अब क्यों फरियाद कर रहा है।
https://www.youtube.com/watch?v=4DYJji-8bt8
Satguru Shri Devendra Ghia (Kaka)
|
View Original |
|
क्यों जगाता है बड़ी-बड़ी तमन्नाएँ तेरे दिल में,
जब तेरा दिल, तेरा मन, तेरे वश में नही।
खाया है धोखा हर बार तूने, इस बात में तो जग में,
फिर भी क्यों तमन्नाएं बढ़ाए जा रहा है दिल में।
मिला नहीं यह जीवन तुझे, मुफ्त में जग में,
अदा की है, कर्मों की कीमत, आने से पहले तो जग में।
जब धोखे के लिये तैयार नही है, फिर तमन्नाएँ क्यों बढ़ाता है,
जो था तेरे हाथ में, क्यों सौंप दिया उसे तूने मन और दिल को,
सौंपकर दिल को और मन को, अब क्यों फरियाद कर रहा है।
सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
kyōṁ jagātā hai baḍa़ī-baḍa़ī tamannāēm̐ tērē dila mēṁ,
jaba tērā dila, tērā mana, tērē vaśa mēṁ nahī।
khāyā hai dhōkhā hara bāra tūnē, isa bāta mēṁ tō jaga mēṁ,
phira bhī kyōṁ tamannāēṁ baḍha़āē jā rahā hai dila mēṁ।
milā nahīṁ yaha jīvana tujhē, muphta mēṁ jaga mēṁ,
adā kī hai, karmōṁ kī kīmata, ānē sē pahalē tō jaga mēṁ।
jaba dhōkhē kē liyē taiyāra nahī hai, phira tamannāēm̐ kyōṁ baḍha़ātā hai,
jō thā tērē hātha mēṁ, kyōṁ sauṁpa diyā usē tūnē mana aura dila kō,
sauṁpakara dila kō aura mana kō, aba kyōṁ phariyāda kara rahā hai।
English Explanation |
|
In this bhajan Kakaji (Shri. Devendra Ghiaji) is telling us we suffer because we desire. Desire and attachment are the roots of all sufferings.
Why do we awaken with big desires in your heart,
When your heart, your soul, is not under your power.
Every time you have been cheated, for the same in this world.
Yet why this desire is been extended in the heart.
You have not received this life free in this world.
You have paid the cost of actions, before coming into this world.
When you are not prepared to be deceived, then why increase your desires.
When it was in your hand, why did you hand over to mind and heart
After handing to heart and mind, then why are you pleading.
|