Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 6996 | Date: 20-Sep-1997
रोये रोये रोये, जग में तू काहे को रोये, तू काहे को रोये
Rōyē rōyē rōyē, jaga mēṁ tū kāhē kō rōyē, tū kāhē kō rōyē

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

Hymn No. 6996 | Date: 20-Sep-1997

रोये रोये रोये, जग में तू काहे को रोये, तू काहे को रोये

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rōyē rōyē rōyē, jaga mēṁ tū kāhē kō rōyē, tū kāhē kō rōyē

જીવન માર્ગ, સમજ (Life Approach, Understanding)

1997-09-20 1997-09-20 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=16983 रोये रोये रोये, जग में तू काहे को रोये, तू काहे को रोये रोये रोये रोये, जग में तू काहे को रोये, तू काहे को रोये

आया जग में तू रोते-रोते, अब रहना तू जग में हँसते-हँसते।

आया खाली हाथ जग में, रहा ना खाली जीवन में, अब तू काहे को रोये,

सुख-चैन में रहना, दिल का सुख ना खोना, दुःख में काहे को डूबे।

जागते-सोते, जग में तो प्रभु, ख्याल सबका तो हैं रखते,

जलती है ज्योत, जब तक तेरे अंदर, रही है वह जलती।

तू भूल गया, याद करना तो उन्हें, फिर भी वह याद करता है तुझे,

मिली सफलता निष्फलता कई बार जीवन में, ना बैठो निराश हो के।

स्वीकार लिया है दर्द जीवन में, दर्द को तो तोहफा समझ के,

दिल के आँगन में प्रभु की यादों के फूल खिलते रहे हैं।
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रोये रोये रोये, जग में तू काहे को रोये, तू काहे को रोये

आया जग में तू रोते-रोते, अब रहना तू जग में हँसते-हँसते।

आया खाली हाथ जग में, रहा ना खाली जीवन में, अब तू काहे को रोये,

सुख-चैन में रहना, दिल का सुख ना खोना, दुःख में काहे को डूबे।

जागते-सोते, जग में तो प्रभु, ख्याल सबका तो हैं रखते,

जलती है ज्योत, जब तक तेरे अंदर, रही है वह जलती।

तू भूल गया, याद करना तो उन्हें, फिर भी वह याद करता है तुझे,

मिली सफलता निष्फलता कई बार जीवन में, ना बैठो निराश हो के।

स्वीकार लिया है दर्द जीवन में, दर्द को तो तोहफा समझ के,

दिल के आँगन में प्रभु की यादों के फूल खिलते रहे हैं।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

rōyē rōyē rōyē, jaga mēṁ tū kāhē kō rōyē, tū kāhē kō rōyē

āyā jaga mēṁ tū rōtē-rōtē, aba rahanā tū jaga mēṁ ham̐satē-ham̐satē।

āyā khālī hātha jaga mēṁ, rahā nā khālī jīvana mēṁ, aba tū kāhē kō rōyē,

sukha-caina mēṁ rahanā, dila kā sukha nā khōnā, duḥkha mēṁ kāhē kō ḍūbē।

jāgatē-sōtē, jaga mēṁ tō prabhu, khyāla sabakā tō haiṁ rakhatē,

jalatī hai jyōta, jaba taka tērē aṁdara, rahī hai vaha jalatī।

tū bhūla gayā, yāda karanā tō unhēṁ, phira bhī vaha yāda karatā hai tujhē,

milī saphalatā niṣphalatā kaī bāra jīvana mēṁ, nā baiṭhō nirāśa hō kē।

svīkāra liyā hai darda jīvana mēṁ, darda kō tō tōhaphā samajha kē,

dila kē ām̐gana mēṁ prabhu kī yādōṁ kē phūla khilatē rahē haiṁ।
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Hindi Bhajan no. 6996 by Satguru Devendra Ghia - Kaka
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