Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Bhaav Samadhi Vichaar Samadhi - Kaka Bhajans
Hymn No. 9199
भूल के जीवन में खुद की खुदाई, करो ना किसी की बुराई।
Bhūla kē jīvana mēṁ khuda kī khudāī, karō nā kisī kī burāī।


Hymn No. 9199

भूल के जीवन में खुद की खुदाई, करो ना किसी की बुराई।

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bhūla kē jīvana mēṁ khuda kī khudāī, karō nā kisī kī burāī।

1900-01-01 1900-01-01 https://www.kakabhajans.org/Bhajan/default.aspx?id=18686 भूल के जीवन में खुद की खुदाई, करो ना किसी की बुराई। भूल के जीवन में खुद की खुदाई, करो ना किसी की बुराई।

दिल में है कुछ, मुख पर रहे कुछ, करो ना दिल से दिल की बेवफाई।

चलो जीवन में सच्चाई की राह पर, इसी में है तो खुद की भलाई।

इच्छाएँ रही हैं उभरती दिल में जो तूने है तो दबाई,

जीना सोच समझ के जीवन में, करो ना हर एक बात में घाई।

सच्चाई पर रखो जीवन में भरोसा, रखो दिल में तो सच्चाई।

करने दी है अब तक मनमानी, करो अब उसकी भरपाई।

दबा क्यों दिया अंतर की आवाज को, क्यों बात उसकी ठुकराई।

क्यों ना दिया महत्त्व अनुभव को, यह नहीं है कुछ सुनी सुनाई।

अंतर की आवाज को करो बुलंद इतना, राह उठे तेरी जगमगाई।
https://www.youtube.com/watch?v=YTwQLMgn4N8
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भूल के जीवन में खुद की खुदाई, करो ना किसी की बुराई।

दिल में है कुछ, मुख पर रहे कुछ, करो ना दिल से दिल की बेवफाई।

चलो जीवन में सच्चाई की राह पर, इसी में है तो खुद की भलाई।

इच्छाएँ रही हैं उभरती दिल में जो तूने है तो दबाई,

जीना सोच समझ के जीवन में, करो ना हर एक बात में घाई।

सच्चाई पर रखो जीवन में भरोसा, रखो दिल में तो सच्चाई।

करने दी है अब तक मनमानी, करो अब उसकी भरपाई।

दबा क्यों दिया अंतर की आवाज को, क्यों बात उसकी ठुकराई।

क्यों ना दिया महत्त्व अनुभव को, यह नहीं है कुछ सुनी सुनाई।

अंतर की आवाज को करो बुलंद इतना, राह उठे तेरी जगमगाई।




सतगुरू देवेंद्र घिया (काका)
Lyrics in English Increase Font Decrease Font

bhūla kē jīvana mēṁ khuda kī khudāī, karō nā kisī kī burāī।

dila mēṁ hai kucha, mukha para rahē kucha, karō nā dila sē dila kī bēvaphāī।

calō jīvana mēṁ saccāī kī rāha para, isī mēṁ hai tō khuda kī bhalāī।

icchāēm̐ rahī haiṁ ubharatī dila mēṁ jō tūnē hai tō dabāī,

jīnā sōca samajha kē jīvana mēṁ, karō nā hara ēka bāta mēṁ ghāī।

saccāī para rakhō jīvana mēṁ bharōsā, rakhō dila mēṁ tō saccāī।

karanē dī hai aba taka manamānī, karō aba usakī bharapāī।

dabā kyōṁ diyā aṁtara kī āvāja kō, kyōṁ bāta usakī ṭhukarāī।

kyōṁ nā diyā mahattva anubhava kō, yaha nahīṁ hai kucha sunī sunāī।

aṁtara kī āvāja kō karō bulaṁda itanā, rāha uṭhē tērī jagamagāī।
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Hindi Bhajan no. 9199 by Satguru Devendra Ghia - Kaka

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